जलवायु सम्मेलन के लिए मैड्रिड पहुंचीं पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग
जलवायु परिवर्तन पर अपनी मुहिम से सुर्खियों में आईं 16 साल की पर्यावरण कार्यकता ग्रेटा थनबर्ग शुक्रवार को स्पेन की राजधानी मैड्रिड पहुंच गई।
मैड्रिड, रायटर। जलवायु परिवर्तन पर अपनी मुहिम से सुर्खियों में आईं 16 साल की पर्यावरण कार्यकता ग्रेटा थनबर्ग शुक्रवार को स्पेन की राजधानी मैड्रिड पहुंच गई। वह यहां जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के शिखर सम्मेलन को संबोधित करने के साथ ही एक मार्च में भी हिस्सा लेंगी। यह मार्च वैश्विक नेताओं से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ सही मायने में कदम उठाने की मांग को लेकर निकाला जाना है। इसमें हजारों लोगों के शामिल होने की उम्मीद है।
कार्बन मुक्त परिवहन अपनाया
जलवायु परिवर्तन पर युवा आंदोलन का वैश्विक चेहरा बनकर उभरीं स्वीडन की ग्रेटा ने मैड्रिड पहुंचने के लिए कार्बन मुक्त परिवहन अपनाया। इसके लिए वह एक नौका के जरिये अटलांटिक महासागर पार कर पिछले हफ्ते अमेरिका से पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन पहुंचीं। इसके बाद मैड्रिड तक का सफर उन्होंने ट्रेन और इलेक्ट्रिक कार के जरिये किया।
संयुक्त राष्ट्र में दिया था भावनात्मक भाषण
ग्रेटा ने गत 23 सितंबर को जलवायु परिवर्तन पर अपनी चिंताओं और सवालों से दुनिया को झकझोरा था। संयुक्त राष्ट्र में अपने भावनात्मक भाषण में उन्होंने दुनियाभर के नेताओं से कहा था, 'आपने हमारा बचपन और सपने छीन लिए। आपकी हिम्मत कैसे हुई? इसके लिए आपको माफ नहीं करूंगी।' ग्रेटा ने अपने आंदोलन के जरिये महज एक साल के अंदर पूरी दुनिया में हजारों युवाओं को प्रेरित किया है।
जानिए, कौन है ग्रेटा थनवर्ग?
2003 में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में ग्रेटा का जन्म हुआ था। उनकी मां का नाम मैलेना अर्नमन है। वह स्वीडन में एक ओपेरा सिंगर हैं। ग्रेटा के पिता एक एक्टर हैं और उनका नाम स्वांते टनबर्ग है। ग्रेटा ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ शुरू की गई इस लड़ाई की शुरुआत उसने अपने घर से की।सबसे पहले ग्रेटा ने माता पिता से कहा कि वह लाइफस्टाइल बदलें। दो साल तक ग्रेटा ने अपने घर के माहौल को बदलने का ही काम किया।
घर से की अभियान की शुरुआत
ग्रेटा के माता-पिता ने इस बदलाव को अपनाते हुए मांस का सेवन करना बंद कर दिया साथ ही जानवरों के अंगों से बनी चीजों का इस्तेमाल तक करना बंद कर दिया। इतना ही नहीं, ग्रेटा के माता पिता ने हवाई जहाज स यात्रा तक करना बंद कर दिया। क्योंकि इसकी वजह से कार्बन का उत्सर्जन ज्यादा होता है।
वर्ष 2018 में जब ग्रेटा नौवीं क्लास में थी। तब स्वीडन में अधिक गर्मी पड़ रही थी। लू से जीना मुहाल था। दूसरी तरफ जंगल में आग लगने के कारण प्रदूषण फैला हुआ था। उस दौरान स्वीडन में आम चुनाव था। तब उन्होंने फैसला किया कि चुनाव समाप्त होने तक वह स्कूल नहीं जाएंगे। इसके बाद उन्होंने जलवायु के खिलाफ जंग शुरू की।