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भगोड़े बिजनेसमैन विजय माल्या की भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ याचिका खारिज, ब्रिटिश हाई कोर्ट से लगा झटका

ब्रिटिश हाई कोर्ट ने भारत में विजय माल्‍या (Vijay Mallya) के प्रत्यर्पण (extradition case) के खिलाफ दाखिल की गई माल्‍या की याचिका को खारिज कर दिया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 20 Apr 2020 03:49 PM (IST)Updated: Tue, 21 Apr 2020 01:51 AM (IST)
भगोड़े बिजनेसमैन विजय माल्या की भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ याचिका खारिज, ब्रिटिश हाई कोर्ट से लगा झटका
भगोड़े बिजनेसमैन विजय माल्या की भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ याचिका खारिज, ब्रिटिश हाई कोर्ट से लगा झटका

लंदन, पीटीआइ। भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के भारत प्र‌र्त्यपण की उलटी गिनती शुरू हो गई है। ब्रिटिश हाई कोर्ट ने प्रत्यर्पण के खिलाफ दायर उसकी अपील खारिज कर दी है। हालांकि ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए उसे 14 दिन का समय दिया गया है। अगर उसने अपील की तो ब्रिटेन का गृह मंत्रालय उस पर फैसला आने तक इंतजार करेगा। अपील नहीं करने की स्थिति में अपील अवधि खत्म होने के बाद से 28 दिनों के भीतर उसे भारत-ब्रिटेन प्रत्यर्पण संधि के तहत प्रत्यर्पित कर दिया जाएगा। 

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गलतबयानी और साजिश का मामला 

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, 'हमारा मानना है कि पहली नजर में यह गलतबयानी और साजिश दोनों का मामला है और इसलिए मनी लांड्रिंग का भी मामला है।' उल्लेखनीय है कि 64 वषर्षीय माल्या को अप्रैल, 2017 में प्रत्यर्पण वारंट पर गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उसे जमानत मिल गई थी। लंदन के वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के दिसंबर, 2018 के प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ माल्या ने हाई कोर्ट में अपील की थी। 

...और अपील खारिज की 

हाई कोर्ट के जस्टिस स्टीफन इर्विन और जस्टिस एलिजाबेथ लैंग की पीठ ने माल्या की अपील खारिज करते हुए कहा, 'हमारा मानना है कि वरिष्ठ जिला जज (एम्मा अर्बथनॉट) ने पहली नजर में मामले को जैसा पाया उसका दायरा कुछ मायनों में भारत (सीबीआइ और ईडी) द्वारा लगाए गए आरोपों से भी बड़ा है। पहली नजर में इस मामले में सात अहम पहलू हैं जो भारत के आरोपों से मेल खाते हैं।' पीठ ने अपने आदेश में सातों बिंदुओं का विवरण दिया है जिसके आधार पर जज अर्बथनॉट के आदेश से सहमति व्यक्त की गई है। 

आचरण से प्रकट हो गई बेईमानी 

भारत सरकार की ओर से माल्या के खिलाफ पेश किए गए दस्तावेजों के आधार पर पीठ ने कहा कि जिन कर्जो पर सवाल उठाए गए हैं वे नामित साजिशकर्ताओं के बीच साजिश के तहत बांटे गए और ये कर्ज किंगफिशर एयरलाइंस की कमजोर वित्तीय स्थिति, नकारात्मक कुल कीमत व कम क्रेडिट रेटिंग के बावजूद दिए गए। 

माल्या ने झूठ बोला 

अदालत ने कहा, 'अपीलकर्ता (माल्या) ने झूठ बोला था कि कर्ज को अनसिक्योर्ड लोन, ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट और इक्विटी के रूप में शामिल किया जाएगा। अपीलकर्ता ने आने वाले निवेश के बारे में झूठ बोला, ब्रांड वैल्यू को बढा-चढाकर बताया, वृद्धि के अनुमानों को लेकर गुमराह किया और असंगत व्यापार योजनाएं दर्शाईं।' पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता की कर्ज नहीं चुकाने की बेईमानी बाद के उसके आचरण से साफ हो गई जब उसने पर्सनल और कारपोरेट गारंटी से बचने की कोशिश की। 

नौ हजार करोड़ रुपये का कर्ज 

अपील के ज्यादातर आधार पहले ही कर दिए थे खारिज माल्या की कानूनी टीम ने भारत सरकार के केस को कई आधार पर चुनौती दी थी। इसमें एक आधार यह भी था कि क्या प्रत्यर्पण के बाद उनका मुवक्किल मुंबई की ऑर्थर रोड जेल की बैरक-12 में सुरक्षित रहेगा। हाई कोर्ट ने ज्यादातर आधारों को पहले ही खारिज कर दिया था और सिर्फ एक आधार पर अपील की अनुमति दी थी जिसमें बैंक से कर्ज हासिल करने में माल्या के बेईमान इरादों के भारत सरकार के केस को चुनौती दी गई थी। मालूम हो कि विजय माल्या पर कई बैंकों का करीब नौ हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। 


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