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Climate Change: विलुप्त होने की कगार पर हैं प्लैटीपस, ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट से गायब हो चुके हैं 40 फीसद जीव

शोधकर्ताओं ने कहा ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर पाए जाने वाले ये जीव सूखे के कारण अब तक लगभग 40 फीसद तक गायब हो चुके हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 08:10 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2020 08:15 PM (IST)
Climate Change: विलुप्त होने की कगार पर हैं प्लैटीपस, ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट से गायब हो चुके हैं 40 फीसद जीव
Climate Change: विलुप्त होने की कगार पर हैं प्लैटीपस, ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट से गायब हो चुके हैं 40 फीसद जीव

सिडनी, एएफपी। लंबे समय तक सूखे और जलवायु परिवर्तन के परिणाम स्वरूप ऑस्ट्रेलिया में पाई जाने वाली प्लैटीपस की प्रजाति विलुप्त होने की कगार पर है। सोमवार को प्रकाशित एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने ग्लोबल वार्मिग के कारण इस जीव के भविष्य और जैव-विविधता पर पड़ने वाले प्रभावों के प्रति आशंका जताई है।

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प्लैटिपस, इकिडना (बिल खोदने वाला चूहे जैसा जानवर) की चार प्रजातियों में से एक मात्र स्तनधारी जीव है। इसका मुंह बतख के जैसा होता है और ये गर्भ धारण करने की बजाए अंडे देते हैं। इन्हें दुनिया के सबसे अजीब जानवरों में से एक माना जाता है। इनके पास बतख की तरह चोंच, बीवर जैसी पूंछ और ऊदबिलाव जैसे पैर होते हैं। इसके पिछले पैर में डंक मारने वाले विषैले कांटे भी मौजूद रहते हैं, जिसकी सहायता से ये अन्य जीवों से खुद को सुरक्षित रखता है।

शोधकर्ताओं ने कहा, 'ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर पाए जाने वाले ये जीव सूखे के कारण अब तक लगभग 40 फीसद तक गायब हो चुके हैं। बांधों के बनने से इनके आवासों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि यदि जलवायु की स्थिति ऐसी ही अनिश्चित बनी रहती है तो अगले 50 वर्षो में प्लैटिपस 46 से 66 फीसद तक और विलुप्त हो सकते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि जलवायु परिवर्तन और गहराता है तो 2070 तक अंडे देने वाले इन स्तनपायी जानवरों की संख्या 73 फीसद तक कम हो जाएगी।

खतरे के करीब जीवों के रूप में हैं सूचीबद्ध

प्लैटिपस को प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय संघ ने 'खतरे के करीब' जीवों के रूप में सूचीबद्ध किया है। लेकिन यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स सेंटर फॉर इकोसिस्टम साइंस के वैज्ञानिकों ने कहा कि कम वर्षा और उच्च तापमान के कारण नदी प्रणालियों को नुकसान पहुंचा है और इससे इन जानवरों के जीवन संभावनाएं भी कम होती चली जा रही हैं।

जोखिम मूल्यांकन की है आवश्यकता

इस अध्ययन के प्रमुख लेखक गिलाड बीनो ने कहा, 'ये खतरे आगे चलकर इन जीवों की विलुप्त होने की आशंकाओं को और पुख्ता कर देते हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए राष्ट्रीय जोखिम मूल्यांकन की तत्काल आवश्यकता है ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि क्या प्लैटिपस को संकटग्रस्त स्थिति में डाला जाना चाहिए या नहीं। साथ ही इनके विलुप्त होने के किसी भी जोखिम को कम करने के लिए समय रहते कदम उठाए जा सकें।'

दो शताब्दियों में 50 फीसद घटी आबादी

सर्वेक्षण में वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि पिछली दो शताब्दियों इस महाद्वीप में इनकी आबादी में 50 फीसद की गिरावट आई थी। नवंबर 2018 में प्रकाशित एक पूर्व अध्ययन में भी अनुमान लगाया गया था कि उस अवधि में आबादी में लगभग 50 फीसदी की गिरावट आई थी। शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि जैव-विविधता को बनाए रखना है तो हमें संकटग्रस्त जीवों को बचाने के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे।


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