इटली में कोरोना से हो रही मौतों ने बदल दी रिश्तों की परिभाषा, जनाजे में भी जाने की इजाजत नहीं
इटली में हर दिन कोरोना वायरस से कम से कम पांच हजार लोग संक्रमित हो रहे हैं सैकड़ों की जान जा रही है और लॉकडाउन के बीच मरने वालों को जनाजा भी नसीब नहीं हो रहा है।
रोम। दुनिया के तमाम देशों में कोरोना से हो रही मौतों ने रिश्तों की परिभाषा भी बदल दी है। कोरोना वायरस के संक्रमण से पहले तक जहां लोग मरने वाले का अंतिम दर्शन करने और उसके जनाजे में शामिल होकर दुख व्यक्त करना चाहते थे वहीं अब कोरोना संक्रमण ने इस पर भी रोक लगा दी है। आलम ये है कि यदि कोरोना के संक्रमण से किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जा रही है तो लोग डर की वजह से उसके घर पहुंचकर शोक व्यक्त करने से भी कतरा रहे हैं। यदि मुस्लिम समुदाय के किसी व्यक्ति की मौत हो जा रही है और उसका जनाजा निकलता है तो उसमें शामिल नहीं हो रहे हैं।
घर पर रहकर ही दुख जता दे रहे हैं। और तो और कुछ देशों में तो कोरोना से मरने वालों का अंतिम संस्कार कराने के लिए वेटिंग लिस्ट में नाम दर्ज है उनको अब तक सुपुर्द-ए-खाक नहीं किया जा सका है। सबसे बुरा हाल इटली और स्पेन का है। कोरोना के दौर में मौत के वक्त भी अपने प्रियजनों का साथ मुमकिन नहीं है। वायरस किसी की परवाह नहीं करता, उसे कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसी की मौत पर परिवार का क्या हाल होता है। संक्रमण के खतरे से अस्पताल में कोई मरीज से मिलने नहीं जा रहा। कई परिवारों में तो दूसरे सदस्य खुद भी क्वारंटाइन हैं। स्थानीय मीडिया में इस तरह की कई रिपोर्टें भी प्रकाशित हो रही हैं।
बेरगामो शहर की सड़कों पर मिलिट्री के ट्रक
चीन के बाद यदि कोई दूसरा बड़ा शहर कोरोना की चपेट में आया है तो उसका नाम इटला का बेरगामो शहर है। जहां कोरोना का कहर सबसे ज्यादा बरपा है। एक सप्ताह में यहां 3 हजार से अधिक लोगों की जान गई है। ये सभी मौतें अस्पतालों में हुईं जहां मरने वाले का हाथ थामने के लिए कोई दोस्त, कोई रिश्तेदार मौजूद नहीं था, यहां के हालात इतने अधिक खराब हो चुके हैं और मरने वालों की संख्या इतनी अधिक तक जा पहुंची है कि वहां लोगों का अंतिम संस्कार करने के लिए सेना को लगा दिया गया है।
सेना लिस्ट बनाकर मरने वालों का अंतिम संस्कार कर रही है। यही कारण है कि इन दिनों बेरगामो शहर की सड़कों पर लगातार मिलिट्री के ट्रक देखे जा रहे हैं। कोरोना वायरस ने यहां इतने लोगों की जान ले ली है कि शवों को ले जाने का और कोई तरीका नहीं बचा है।
गले लगकर दुख भी व्यक्त नहीं कर सकते
शायद दुनिया में पहली बार ऐसा हो रहा होगा कि मौत के इस खेल में सब शर्तें वायरस ने ही तय कर रखी हैं। अभी तक मरने के बाद मरने वाले को चैन मिल जाता था और बाकी लोग उसके घर-परिवार और अन्य सदस्यों से मिलकर गले लगकर दुख व्यक्त कर देते थे, सांत्वना देते थे मगर ये कोरोना मौत के बाद भी चैन नहीं लेने देता है।
आलम ये हो गया है कि जिसका रिश्तेदार गुजर गया है, उसे अकेले ही शोक मनाना पड़ता है। देश भर में लॉकडाउन है, ऐसे में किसी को जनाजे में भी जाने की इजाजत नहीं है। सरकार ही अंतिम संस्कार करा रही है। लोग एक दूसरे के गले लग कर रो तक नहीं सकते, जो चला गया उसकी सिर्फ यादें साझा कर सकते। इसके अलावा वायरस ने उनके सारे हक छीन लिए हैं।
शोक संदेश पढ़कर अखबारों से मिल रही सूचनाएं
इटली में तो हालात इतने अधिक खराब हैं कि वहां पड़ोसी-पड़ोसी से बात नहीं कर रहे हैं, लोग घरों का दरवाजा सिर्फ अखबार की कापी उठाने के लिए खोलते हैं। उसी के माध्यम से उनको 24 घंटे का हाल मिल रहा है। इसी अखबार में मरने वालों के शोक संदेश भी छप रहे हैं। इसी से पता चल रहा कि आसपास के इलाके में किन-किन लोगों की मौत हो गई।
दुनियाभर में ठहर सी गई जिंदगी
कोरोनावायरस की वजग से दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में जिंदगी ठहर सी गई है। हर देश इस महामारी को रोकने की कोशिश कर रहा है और इसके लिए बहुत बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ रही है। इस जंग में जो लोग मारे गए हैं उनके प्रियजनों को शायद इसी बात से सब्र करना होगा।
स्पेन में सन्नाटा
इटली के बाद कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित यूरोपीय देश स्पेन है, वहां भी कर्फ्यू लगा है। नतीजतन राजधानी मैड्रिड का व्यस्ततम इलाका प्लाजा मायोर खाली पड़ा है, हर साल यहां लाखों सैलानी आते हैं, इस इलाके में 3000 से ज्यादा रेस्तरां, बार, कॉफी हाउस और ताबेर्ना हैं। कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए 18 मार्च से स्कूलों, कॉलेजों के अलावा सारे पबों और रेस्तरां को भी बंद कर दिया गया है। शहर का प्रतीक सेंट स्टीफन कैथीड्रल बंद है। चेक रिपब्लिक ने भी इमरजेंसी घोषित कर दी है और देश को आवाजाही के लिए पूरी तरह सील कर दिया है।
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