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ब्रेक्जिट समझौते पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री और यूरोपीय संघ में गतिरोध बरकरार

ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के बीच असहमति की बड़ी वजह यह है कि ब्रेक्जिट के बाद किस तरह आयरलैंड की सीमा को खुला रखा जाएगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 17 Oct 2018 09:44 PM (IST)Updated: Thu, 18 Oct 2018 12:33 AM (IST)
ब्रेक्जिट समझौते पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री और यूरोपीय संघ में गतिरोध बरकरार
ब्रेक्जिट समझौते पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री और यूरोपीय संघ में गतिरोध बरकरार

ब्रसेल्स, एएफपी। ब्रेक्जिट समझौते को लेकर ब्रिटेन और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच गतिरोध जारी है। इसके समाधान के लिए ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा मे यहां यूरोपीय संघ के नेताओं के साथ चर्चा करने के लिए पहुंच गई हैं। वह ईयू से अलग होने के समझौते पर सहमति बनाने के मसले पर अपनी बात रखेंगी।

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यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन में टेरीजा रखेंगी अपनी बात

यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के हटने के फैसले के संबंध में इस हफ्ते ब्रसेल्स में हो रहे इस शिखर सम्मेलन में कुछ ठोस नतीजा निकलने की उम्मीद जताई गई है। हालांकि यह सच्चाई भी है कि दोनों पक्षों में ब्रेक्जिट को लेकर अब तक कोई सहमति नहीं बन पाई है।

ईयू के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क ने कहा, 'मैं गुरुवार को प्रधानमंत्री मे से यह पूछने जा रहा हूं कि क्या उनके पास इस गतिरोध को दूर करने के लिए कोई ठोस प्रस्ताव है?' इस सम्मेलन में टेरीजा ईयू के अपने 27 समकक्षों के सामने अपनी बात रखेंगी। इसके बाद रात्रिभोज में ब्रिटिश प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति में बाकी नेता ब्रेक्जिट मसले पर चर्चा करेंगे।

डोनाल्ड टस्क ने यह साफ किया है कि अगर टेरीजा मे और यूरोपीय संघ के वार्ताकार माइकल बार्नियर समझौता मसौदे के संबंध में कोई ठोस संकेत नहीं देते हैं तो वह ब्रेक्जिट पर हस्ताक्षर के लिए नवंबर में शिखर सम्मेलन नहीं बुलाएंगे। अगर ऐसा हुआ तो यह पूरी प्रक्रिया दिसंबर तक टल जाएगी। इससे पहले दोनों पक्षों में यह सहमति बनी थी कि बिना किसी समझौते और भविष्य की रूपरेखा के बगैर ब्रिटेन का यूरोपीय संघ से 29 मार्च, 2019 को बाहर निकलना आर्थिक और राजनीतिक आपदा होगा।

असहमति की यह है वजह

ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के बीच असहमति की बड़ी वजह यह है कि ब्रेक्जिट के बाद किस तरह आयरलैंड की सीमा को खुला रखा जाएगा।

ब्रिटेन में करना पड़ रहा विरोध का सामना

इस मसले पर ब्रिटेन में भी हालात अच्छे नहीं हैं। टेरीजा मे को अपने देश में विपक्ष के साथ ही अपनी पार्टी और कैबिनेट सहयोगियों के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है।


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