Coronavirus in Brazil: तेजी से बढ़ रहे मामले, राष्ट्रपति बोल्सोनारो संकट के लिए दूसरों को बता रहे दोषी
ब्राजील में कोरोना वायरस (COVID-19) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो खुद जिम्मेदारी न लेते हुए इस संकट के लिए दूसरों को दोषी ठहरा रहे हैं।
रियो डी जनेरियो, एपी। ब्राजील में कोरोना वायरस (COVID-19) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और दुनियाभर में कोरोना के सबसे ज्यादा मामलों की सूची में यह देश दूसरे नंबर पर है। राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो खुद जिम्मेदारी न लेते हुए इस संकट के लिए मेयर, गवर्नर, निवर्तमान स्वास्थ्य मंत्री और मीडिया को दोषी ठहरा रहे हैं।
बोल्सोनारो लगातार अपने इस विचार का बचाव करने कि कोशिश कर रहे हैं कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए अर्थव्यवस्था को बंद करने से देश को अधिक नुकसान होता। गवर्नरों द्वारा उनके जिम खोलने का आदेश ठुकराने को उन्होंने तानाशाही रवैया बताया।
मैं चमत्कार नहीं करता
कोरोना के कारण जब ब्राजील में चीन से ज्यादा लोगों मौत को लेकर जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा,' मैं चमत्कार नहीं करता। आप मुझसे क्या करवाना चाहते हैं?' तेजी से बढ़ रहे मामलों की वजह से अमेरिका द्वारा यात्रा प्रतिबंध लगाए जाने को उनके एक सलाहकार ने इसे प्रेस हिस्टीरिया बताया।
संभावित प्रभावों को स्वीकार करने से परहेज
कोरोना आउटब्रेक शुरू होने के बाद से ब्राजील के नेता ने अपने कार्यों के संभावित प्रभावों को स्वीकार करने से परहेज किया है। उन्होंने खासकर स्थानीय नेताओं के 'स्टे एट होम' की सिफारिशों की अनदेखी की है। अप्रैल के मध्य में उन्होंने अर्थव्यवस्था को खोलने के लिए नए स्वास्थ्य मंत्री की नियुक्ति की।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध
ब्राजील के सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि राज्यों और शहरों के पास आइसोलेशन के उपाय लागू करने के अधिकार हैं। इसका विरोध करते हुए कहा कि कुछ राज्यों काफी कड़े एहतियाती उपाय लागू किए। इसका नतीजा यह हुआ कि लाखों लोगों की आय कम हो गई है।
संक्रमण के मामले में अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर
समाचार एजेंसी एपी के अनुसार 17 मई को किए गए सर्वेक्षण में 58 प्रतिशत लोगों के अनुसार बोल्सोनारो की महामारी के खिलाफ रवैये को खराब माना है। केवल 21 प्रतिशत ने उनके पक्ष में वोट किया है। लैटिन अमेरिकी देश में कोरोना के तीन लाख 63 हजार से ज्यादा मामले सामने आ गए हैं और वह संक्रमण के मामले में अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है। हालांकि, कहा जा रहा है कि वास्तविक मामले सरकारी आंकड़े से बहुत ज्यादा हो सरकते हैं क्योंकि देश में टेस्टिंग का अभाव है।