चीन बना रहा एशिया का सबसे बड़ा विमानवाहक युद्धपोत, हिंद महासागर में दबदबा बनाना है मकसद
सेटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि चीन अब एशिया का सबसे बड़ा विमानवाहक पोत बना रहा है। चीन ने हालांकि अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
हांगकांग, रायटर। समुद्र में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए चीन एक के बाद एक विमानवाहक युद्धपोतों के निर्माण में जुटा है। सेटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि चीन अब एशिया का सबसे बड़ा विमानवाहक पोत बना रहा है। चीन ने हालांकि अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन चीनी मीडिया ने हाल में इसका संकेत दिया था।
अमेरिकी थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रेटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (सीएसआइएस) की ओर से मुहैया कराई गई तस्वीरों से उजागर हुआ कि शंघाई के पास जिआंगन शिपयार्ड में पिछले छह माह से एक विशाल पोत के निर्माण की गतिविधियां चल रही हैं। ये तस्वीरें बीते अप्रैल में ली गई थीं।
विश्लेषकों का कहना है कि यह विमानवाहक पोत एक लाख टन वजनी अमेरिकी विमानवाहक पोत से कुछ छोटा लेकिन फ्रांस के 42 हजार 500 टन वजन वाले चार्ल्स डी गॉल विमानवाहक पोत से बड़ा हो सकता है। चीन के मीडिया ने इस तीसरे विमानवाहक पोत का जिक्र टाइप 002 के तौर पर किया था।
सीएसआइएस ने रिपोर्ट में कहा, 'टाइप 002 के संबंध में सीमित जानकारी है। लेकिन जिआंगन में जिस तरह की लगातार गतिविधियां दिख रही हैं उससे जाहिर होता है कि चीन की नौसेना का यह तीसरा विमानवाहक पोत हो सकता है। यह भारत और जापान समेत किसी भी एशियाई युद्धपोत से बड़ा होगा।'
2016 में शामिल किया था पहला विमानवाहक पोत
चीन ने अपनी नौसेना में 2016 में पहले विमानवाहक पोत लिओनिंग (54 हजार टन) को शामिल किया था। यह सोवियत काल के मॉडल पर आधारित है। इसी मॉडल का दूसरा विमानवाहक पोत (58 हजार टन) भी तैयार किया जा रहा है। चीनी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने पिछले साल बताया था कि चीन तीसरे विमानवाहक पोत का निर्माण कर रहा है। इसे 2021 तक लांच किया जा सकता है।
चीन का यह है मकसद
चीन विवादित दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा मजबूत करने के साथ ही हिंद महासागर के बड़े हिस्से पर दबदबा चाहता है। चीनी विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की योजना पांच से छह विमानवाहक पोत बनाने की है।
भारत भी बना रहा पोत
भारत के पास अभी 45 हजार टन वजनी विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रमादित्य है। विक्रांत क्लास के 40 हजार टन वजनी एक विमानवाहक पोत का निर्माण चल रहा है।
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