Climate Migration: बाढ़ के कारण बांग्लादेश छोड़ने को मजबूर हैं लोग
भोला जिले के रामदासपुर गांव स्थित अपने घर से सैंकड़ों किमी दूर पूरा परिवार राजधानी पहुंचा था। बता दें कि यह तटीय इलाका सबसे अधिक बाढ़ की चपेट में आता है जहां अनेकों गांव वालों को नियमित रूप से अपना घर छोड़ जाना पड़ता है।
भोला, एजेंसी। मेघना नदी में आए बाढ़ के कारण पिछले साल दक्षिण बांग्लादेश के मोहम्मद जेवेल और आरजू बेगम को रातों रात पैतृक गांव में अपना घर छोड़ना पड़ा। उनके पास उस वक्त कोई और विकल्प नहीं था। अगली सुबह अपने चार बच्चों के साथ वे राजधानी ढाका पहुंचे थे। भोला जिले के रामदासपुर गांव स्थित अपने घर से सैंकड़ों किमी दूर पूरा परिवार राजधानी पहुंचा था। बता दें कि यह तटीय इलाका सबसे अधिक बाढ़ की चपेट में आता है जहां अनेकों गांव वालों को नियमित रूप से अपना घर छोड़ जाना पड़ता है। हिमालय से निकलने वाली नदियां बांग्लादेश से होकर गुजरती हैं।
हिमालय से निकलने वाली नदियां जैसे मेघना बांग्लादेश में उत्तर और पूर्वोत्तर इलाकों से होकर गुजरती हैं। 130 से अधिक नदियां नीचे बसे देशों से होकर गुजरती हैं जिनमें से कई बाढ़ कारण बनती हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण देश में मौसम के हालात खराब हैं। नतीजतन नदी के तटों और गांव के गांव बर्बाद होते जा रहे हैं।
जून से अक्टूबर तक मानसून के मौसम के दौरान कई नदियां अपना रास्ता बदल लेती हैं और तट से सटे बाजारों, स्कूलों व घरों को बहा ले जाती हैं। इस दौरान हजारों लोग विस्थापित हो जाते हैं और जलवायु के कारण शरणार्थी बन जाते हैं। पिछले साल के वर्ल्ड बैंक रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक दक्षिण एशिया के आंतरिक जलवायु शरणार्थियों की दृष्टि से बांग्लादेश तीसरे नंबर पर होगा। मेघना नदी हर साल किसी बच्चे की तरह एक-एक इंच करीब आती जा रही है।