भारत आने से पहले अचानक अफगानिस्तान पहुंच चीनी विदेश मंत्री ने चौंकाया
नए शैक्षणिक सत्र के पहले ही दिन वादाखिलाफी करते हुए तालिबान द्वारा ल़़डकियों की उच्च शिक्षा पर पाबंदी लगाए जाने को लेकर जहां अंतरराष्ट्रीय समुदाय उससे नाराज है वहीं चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने गुरुवार को अचानक काबुल पहुंच सबको को चौंका दिया।
काबुल, एजेंसी। नए शैक्षणिक सत्र के पहले ही दिन वादाखिलाफी करते हुए तालिबान द्वारा ल़़डकियों की उच्च शिक्षा पर पाबंदी लगाए जाने को लेकर जहां अंतरराष्ट्रीय समुदाय उससे नाराज है, वहीं चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने गुरुवार को अचानक काबुल पहुंच सबको को चौंका दिया। बख्तर समाचार एजेंसी ने बताया कि वांग यी तालिबानी नेताओं से मिलकर राजनीतिक, आर्थिक व आपसी सहयोग के मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
अफगानिस्तान में अमेरिका व नाटो के साथ चले 20 साल के युद्ध की समाप्ति के बाद पिछले साल अगस्त में तालिबन ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया है। तालिबान अपनी सरकार की अंतरराष्ट्रीय मान्यता के लिए प्रयासरत है। चीन ने फिलहाल तालिबान को मान्यता नहीं दी है, लेकिन लड़कियों के स्कूल जाने पर रोक और महिलाओं के कामकाज पर प्रतिबंध के तालिबानी फैसले की आलोचना से भी परहेज किया है। चीन के अफगानिस्तान में खनन व आर्थिक हित हैं।
अफगानिस्तान पर कब्जे से कुछ ही समय पहले जुलाई में वांग ने तालिबानी नेता अब्दुल गनी बरादर की चीन में मेजबानी की थी। बैठक में वांग ने यह भरोसा चाहा था कि तालिबान अपने शासन में उइगर विद्रोहियों को अफगानिस्तान से अभियान चलाने की अनुमति नहीं देगा।
दक्षिण एशिया में चीन की इमेज में सुधार करने की कोशिश
खास तौर पर तब जबकि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वैश्विक व्यवस्था में बड़े बदलाव की बात सरकारें और कूटनीतिक विश्लेषक कर रहे हैं, यह भी बताया जा रहा है कि वांग यी की भारत यात्रा के लिए चीन की तरफ से ज्यादा दबाव बनाया गया था।
वांग यी भारत के बाद देर रात नेपाल जाएंगे। उनके बांग्लादेश जाने की भी संभावना है। वांग यी की इस यात्रा को चीन की तरफ से दक्षिण एशिया में चीन की इमेज में सुधार करने और अपनी महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ : ढांचागत सुविधाओं से जोड़ने की योजना) की दिक्कतों को दूर करने के तौर पर देखा जा रहा है। चीन फिर से बीआरआइ पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन कर रहा है।