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चीन ने नेपाल को भी नहीं छोड़ा, जमीन हथियाकर कर रहा सड़क निर्माण, सर्वे में हुआ खुलासा

चीन ने नेपाल की कई किमी की जमीन पर कब्‍जा कर उस पर सड़क निर्माण किया है। उसने नेपाल की जमीन को तिब्‍बत में मिलाने के लिए नदियों का रुख भी मोड़ दिया है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 23 Jun 2020 06:07 PM (IST)Updated: Wed, 24 Jun 2020 08:24 AM (IST)
चीन ने नेपाल को भी नहीं छोड़ा, जमीन हथियाकर कर रहा सड़क निर्माण, सर्वे में हुआ खुलासा
चीन ने नेपाल को भी नहीं छोड़ा, जमीन हथियाकर कर रहा सड़क निर्माण, सर्वे में हुआ खुलासा

काठमांडू (एएनआई)। चीन ने नेपाल की कई किमी की जमीन हथियाकर उसे तिब्‍बत ऑटोनॉमस रीजन में मिला लिया है और वहां पर सड़क निर्माण कर रहा है। कृषि मंत्रालय के सर्वेक्षण विभाग की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। इस सर्वे में ये भी बात सामने आई है कि 11 जगहों पर चीन ने जमीन हथियाई है। इनमें से 10 जगह ऐसी हैं जहां पर उसने नेपाल की 33 हेक्‍टेयर जमीन पर कब्‍जा कर लिया है। इसके लिए उसने वहां से गुजरने वाली नदी का भी रुख बदल दिया है, जो पहले एक प्राकृतिक सीमा हुआ करती थी। यहां पर वह सैनिकों के लिए आउटपोस्‍ट का भी निर्माण कर रहा है। 

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एएनआई के मुताबिक, सर्वे के इन दस्‍तावेजों में इस बात का जिक्र है कि चीन ने तिब्‍बत ऑटोनॉमस रीजन में सड़कों का जाल बिछाने के लिए वहां से गुजरने वाली नदियों और वहां की पहचान वाली चीजों की स्थिति में बड़ा फेरबदल किया है। दस्‍तावेजों में ये भी कहा गया है कि नेपाली क्षेत्रों में नदियों का प्रवाह धीरे-धीरे घट रहा है और अगर यह कुछ और समय तक बना रहता है, तो चीन नेपाल की भूमि के अधिकतम हिस्से को तिब्‍बत में शामिल कर लेगा।

सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, हुमला जिले में चीन के कंस्‍ट्रक्‍शन कर्मियों ने बगडारे खोला नदी और करनाली नदी का रुख बदल कर 10 हेक्‍टेयर की जमीन अपनी सीमा में मिला लिया है। वहीं, नेपाल के रासुवा जिले की करीब छह हेक्‍टेयर जमीन को भी इसी तरह से चीन ने तिब्‍बत में मिलाया है। इसी तरह का बदलाव सिनजेन, बुरजुक और जांबू खोला में भी हुआ है। आपको बता कि चीन नेपाल के सिंधुपालचौक के 11 हेक्‍टेयर इलाके को पहले ही अपना बताते हुए उस पर दावा करता आया है।

चीन ने नेपाल की जमीन को अपने में मिलाने के लिए संखुवासभा जिले की सुमजंग, काम खोला और अरुण नदियों का भी रुख बदल दिया है। यहां की करीब 9 हेक्‍टेयर जमीन को वह तिब्‍बत में मिला भी चुका है। इस सर्वे की रिपोर्ट में नेपाल को चेतावनी भी दी गई है कि यदि उसने जल्‍द ही कुछ नहीं किया तो नेपाल की अधिकांश भूमि को चीन तिब्‍बत में मिला लेगा। आपको बता दें कि जमीन को लेकर हुए 1960 के सर्वे में नेपाल और चीन की सीमा को पिलर से विभाजित किया गया था, लेकिन इसके बाद में नेपाल ने अपनी सीमा की सुरक्षा को लेकर कभी कोई कदम नहीं उठाया। इसका नतीजा ये हुआ कि नेपाल के उत्‍तर में केवल 100 पिलर ही चीन से लगी सीमा को बता रहे हैं। वहीं भारत-चीन और नेपाल से लगती सीमा पर भारत का पिलर 8553 मौजूद है।

हाल के दिनों में पूरी दुनिया इस बात की गवाह बनी है कि चीन ने किस तरह से भारत की उत्तरी सीमा पर घुसपैठ कर वहां की भूमि को हथियाने की साजिश रची। इसकी वजह भारत और चीन की सीमा पर तनाव चरम पर पहुंचा हुआ है। लद्दाख को लेकर शुरू हुए इस विवाद में भारत ने कड़ा रुख अपनाया है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि चीन का केवल भारत के साथ ही सीमा विवाद नहीं है, बल्कि जहां जहां उसकी सीमाएं मिलती हैं, वहां-वहां उसका सीमा विवाद है। मलेशिया और वियतनाम से उसका विवाद दक्षिण चीन सागर को लेकर है। ताइवान के साथ ऑस्‍ट्रेलिया के सैन्‍य अभियान को लेकर चीन आंख दिखाता है और शराब समेत कई तरह की चीजों पर पाबंदी लगाने की धमकी भी देता रहता है। 

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