दूषित आबोहवा में दो घंटे भी रहना दिल के लिए घातक, पढ़ें क्या कहती है रिसर्च
वायु प्रदूषण में दो घंटे सांस लेने भर से प्रतिभागियों में महज 24 घंटे के अंदर हृदय रोग का पहला चरण देखने को मिला।
सोफिया एंटीपोलिस, एएनआइ। शहरी वायु प्रदूषण हमारी सेहत के लिए घातक बनता जा रहा है। इसकी गंभीरता पर रोशनी डालने वाले एक नए अध्ययन से जाहिर होता है कि दूषित आबोहवा में महज दो घंटे भी रहने से दिल और रक्त वाहिनियों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
ग्रीस की केपोडिस्टि्रयन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर दमित्रि टूसौलिस ने कहा, 'वायु प्रदूषण में दो घंटे सांस लेने भर से प्रतिभागियों में महज 24 घंटे के अंदर हृदय रोग का पहला चरण देखने को मिला। इस अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों को स्थायी नुकसान से बचाने के लिए वायु प्रदूषण को सुरक्षित स्तर पर रखा गया था।' यह निष्कर्ष 40 प्रतिभागियों पर अध्ययन के आधार पर निकाला गया है। इसमें डीजल के धुएं का हृदय की प्रणाली पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन किया गया। रक्त वाहिनियों की कार्यप्रणाली, धड़कन की दर, रक्त के थक्के और सूजन पर गौर किया गया। ये सभी हृदय की सेहत को दर्शाते हैं।
दिल के लिए कम वायु प्रदूषण भी खतरनाक
एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि दिल के लिए ना सिर्फ उच्च बल्कि निम्न वायु प्रदूषण भी घातक है। इस अध्ययन के मुताबिक थोड़े समय के लिए भी कम वायु प्रदूषण में रहने से अचानक दिल से संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। ऐसी स्थिति विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए ज्यादा घातक हो सकती है।
ऑस्ट्रेलिया स्थित सिडनी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक आउट ऑफ हॉस्पिटल कार्डिएक अरेस्ट में 90 फीसद से ज्यादा मामले ऐसे वातावरण में रहने में सामने आते हैं, जिसमें पीएम 2.5 का निम्न स्तर रहता है। इस रिसर्च में ओएचसीए और गैसीय प्रदूषकों के बीच संबंध पाया गया है।
इस तरह के प्रदूषकों की उत्पत्ति कोयला जलाने, जंगलों की आग और वाहनों से होती है। इससे यह बात साबित होती है कि वायु प्रदूषण का कोई भी स्तर सुरक्षित नहीं है। मानक के अनुरुप वायु गुणवत्ता रहने के बावजूद कार्डिएक अरेस्ट का खतरा बढ़ सकता है।