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चीन और अमेरिका के बीच फंसे हैं कई एशियाई देश, शस्त्रागार में शामिल कर रहे हैं अत्याधुनिक और शक्तिशाली हथियार

एशियाई देशों में हथियारों को लेकर शुरू हुई प्रतिस्पर्धा धीरे-धीरे गंभीर रूप लेती जा रही है। जो देश कभी हथियारों का संग्रह करने में नहीं लगे थे आज वो अत्याधुनिक और लंबी रेंज की मिसाइलों के शस्त्रागार का निर्माण कर रहे हैं।

By Amit KumarEdited By: Published: Tue, 20 Jul 2021 09:17 PM (IST)Updated: Tue, 20 Jul 2021 09:17 PM (IST)
चीन और अमेरिका के बीच फंसे हैं कई एशियाई देश, शस्त्रागार में शामिल कर रहे हैं अत्याधुनिक और शक्तिशाली हथियार
एशियाई देशों में हथियारों को लेकर शुरू हुई प्रतिस्पर्धा धीरे-धीरे गंभीर रूप लेती जा रही है।

सियोल, रॉयटर्स: एशियाई देशों में हथियारों को लेकर शुरू हुई प्रतिस्पर्धा धीरे-धीरे गंभीर रूप लेती जा रही है। जो देश कभी हथियारों का संग्रह करने के मामले में सक्रिय नहीं थे, आज वो अत्याधुनिक और लंबी रैंज की मिसाइलों के शस्त्रागार का निर्माण कर रहे हैं। विश्लेषकों के मुताबिक अमेरिका और चीन के बीच खुद को शक्तिशाली साबित करने की होड़ में कुछ छोटे देश भी उनके नक्शेकदम पर चल पड़े हैं।

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बड़े पैमाने पर हथियारों की खरीदारी

दरअसल, चीन इन दिनों अपने बहुउद्देश्यीय हथियार DF-26 का बड़े पैमाने पर उत्पादन कर रहा है, जिसकी मारक क्षमता करीब चार हजार किलोमीटर तक की है। वहीं अमेरिका प्रशांत क्षेत्र में बीजिंग का मुकाबला करने के मकसद से नए हथियार विकसित कर रहा है। जिसके चलते क्षेत्र के अन्य देश नई मिसाइलें खरीद रहे हैं या खुद ही विकसित कर रहे हैं। आशंका है कि एक दशक में ही एशिया में बहुत बड़ी तादाद में मिसाइलों का जमावड़ा होगा।

वैश्विक स्तर पर चिंता का विषय

पैसिफिक फोरम के अध्यक्ष डेविड सैंटोरो ने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि एशिया में मिसाइलों का परिदृश्य बहुत तेजी से बदल रहा है। उन्होंने कहा कि ये हथियार तेजी से किफायती और सटीक होते जा रहे हैं और जैसे ही कोई देश उनकी खरीदारी करता है, तो उनका पड़ोसी भी खुद को बेहतर साबित करने के मकसद से रेस में शामिल हो जाता है। सैंटोरो ने अपने बयान में साफ किया है कि मिसाइलों का भविष्य अभी से तय नहीं किया जा सकता, अभी सिर्फ उम्मीद लगाई जा सकती है कि ये हथियार भविष्य में शांति बनाए रखने में सहायक होंगे।

अमेरिका की महत्वाकांक्षी योजना

रॉयटर्स द्वारा समीक्षा किए गए अप्रकाशित 2021 सैन्य ब्रीफिंग दस्तावेजों के अनुसार, यूएस इंडो-पैसिफिक कमांड (INDOPACOM) ने अपने नए लंबी दूरी के हथियारों को सटीक-स्ट्राइक नेटवर्क में तैनात करने की योजना बनाई है। जिसमें जापान, ताइवान के साथ अन्य प्रशांत द्वीप शामिल हैं। नए हथियारों में लंबी दूरी की हाइपरसोनिक वेपन (LRHW) शामिल है, जो 2,775 किलोमीटर दूर स्थित टारगेट को नष्ट करने में सक्षम है। INDOPACOM के एक प्रवक्ता ने रायटर को बताया कि इन हथियारों को कहां तैनात किया जाए, इस बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। अब तक, इस क्षेत्र के अधिकांश अमेरिकी सहयोगी उनकी मेजबानी करने के लिए हिचकिचाते रहे हैं।


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