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वैज्ञानिकों का दावा, सुलझ गया ‘बरमूडा ट्राइएंगल’ का रहस्‍य

दुनिया के सबसे रहस्‍यमयी जगह बरमूडा ट्राइएंगल के सीक्रेट का पता लगाने का दावा ब्रिटेन के कुछ वैज्ञानिकों द्वारा किया जा रहा है।

By Monika MinalEdited By: Published: Thu, 02 Aug 2018 02:58 PM (IST)Updated: Fri, 03 Aug 2018 08:09 AM (IST)
वैज्ञानिकों का दावा, सुलझ गया ‘बरमूडा ट्राइएंगल’ का रहस्‍य
वैज्ञानिकों का दावा, सुलझ गया ‘बरमूडा ट्राइएंगल’ का रहस्‍य

लंदन (जेएनएन)। ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि बरमूडा ट्राइएंगल के रहस्‍यों को सुलझा लिया गया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि 100 फीट ऊंची खतरनाक लहरें इसका कारण हो सकती हैं जिसके कारण समुद्री जहाज इस रहस्‍यमयी बरमूडा ट्राइएंगल में गुम हो जाती हैं।

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दुनिया की रहस्‍यमयी जगह- बरमूडा ट्राइएंगल

बता दें कि इस क्षेत्र से गुजरने वाले समुद्री जहाज और प्लेन अचानक गायब हो जाते हैं। यह दुनिया का सबसे रहस्‍यमयी इलाका है। यहां आस-पास से गुजरने वाली हर चीज लापता हो जाती है। पानी का जहाज हो या हवाई जहाज, बरमूडा ट्राइएंगल के आस-पास जो भी गया, वो हमेशा के लिए गायब हो गया। नासा के सैटेलाइट ने धरती की कुछ ऐसी तस्वीरें खींची हैं जो बरमूडा ट्राइएंगल के रहस्य से पर्दा हटा सकती हैं। इनमें अटलांटिक महासागर में स्थित बरमूडा ट्राइएंगल के ऊपर मंडराते बादलों की भी तस्वीर है।

गायब हो जाते हैं विमान

एक अनुमान के मुताबिक पिछले 70 साल तक कोई वैज्ञानिक वहां जाकर इस रहस्य से पर्दा उठाने की हिम्मत नहीं दिखा पाया, क्योंकि वहां से गुजरने वाले समुद्री जहाज और प्लेन विशेष भौगोलिक कारणों की वजह से अचानक समुद्री गर्त में घुसकर गायब हो जाते थे।

चुंबकीय घनत्‍व का हो सकता है प्रभाव

इससे पहले ऑस्‍ट्रेलियाई वैज्ञानिक ने बताया था कि बरमूडा ट्राइएंगल का रहस्‍य वहां की भौगोलिक स्थिति और खराब मौसम में छिपा है। इसकी वजह से अटलांटिक महासागर के उस क्षेत्र में समुद्री जहाज और प्लेन गायब हो जाते हैं। उस क्षेत्र पर चुंबकीय घनत्व के प्रभाव की बात भी स्वीकार की गई है।

‘डेविल्‍स ट्राइएंगल’ यानि शैतानों का क्षेत्र

बरमूडा ट्राइएंगल का यह क्षेत्र फ्लोरिडा, बरमूडा और प्‍यूर्टो-रिका के बीच 700,000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह क्षेत्र भूमध्य रेखा के नजदीक है और अमेरिका के पास है। यह क्षेत्र उत्तर पश्चिम अटलांटिक महासागर का एक भाग है जिसमें कई प्लेन और जहाज गायब हुए हैं। इसे ‘डेविल्‍स ट्राइएंगल’ के नाम से भी जाना जाता है। पिछले सौ सालों के दौरान यहां 1000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है । लेकिन यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैंपटन के विशेषज्ञों का मानना है कि इस रहस्‍य को प्राकृतिक प्रक्रिया, ‘खतरनाक लहरों’ के तौर पर बताया जा सकता है।

सुनामी से भी ऊंची व खतरनाक लहरें

1997 में दक्षिण अफ्रीका के तट से सैटेलाइट द्वारा पहली बार यहां उठने वाली ऊंची लहरें देखी गई जो मिनटों में खत्‍म हो जाती हैं। इसकी ऊंचाई 100 फीट तक होती है।

यहां के बादलों के नीचे बहती हैं तूफानी हवाएं

बरमूडा ट्राइएंगल पर मंडराने वाले कुछ बादल आम बादलों से पूरी तरह अलग थे। सैटेलाइट की तस्वीरों में साफ दिखा कि बरमूडा ट्राइएंगल के ऊपर मंडराने वाले कुछ बादलों का आकार हेक्सागन की तरह है। इन बादलों के नीचे 274 किलोमीटर प्रति घंटे की तीव्रता वाली तूफानी हवाओं का बवंडर होता है। वैज्ञानिकों ने इस बवंडर को एयर बम बताया जो रास्ते में आने वाली हर चीज को खुद में समा लेता है। यही एयर बम नीचे आकर समुद्र से टकराता है। इसके चलते ऊंची-ऊंची लहरें उठने लगती हैं। समुद्र में उठने वाली यही लहरें आस-पास मौजूद हर चीज को निगल जाती हैं। 

उल्‍लेखनीय है कि 200 से अधिक प्‍लेन और 1000 से अधिक जान लेने वाले इस ट्राइएंगल के रहस्‍य पर से अब तक पर्दा नहीं उठ पाया है। फ्लाइट 19 (Flight 19) इस क्षेत्र से गायब हुई थी। यह TBM युद्धक बमवर्षक विमान की एक प्रशिक्षण उड़ान थी जो अटलांटिक के ऊपर से गुजरते हुए 5 दिसंबर, 1945 को गायब हुई थी। एक और प्लेन मेरी सेलेस्टी (Mary Celeste) के सन 1872 में रहस्यमय ढंग से लापता हो जाने का मामला भी आया था इसके अलावा इस क्षेत्र से कई अन्य प्लेन और समुद्री जहाजों के लापता होने का भी मामला सामने आया था।


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