चीनी कर्ज के चलते खतरे में अब इस देश की स्वायत्तता, कब्जा करने की रणनीति पर चल रहा ड्रैगन
चीनी निवेश (Chinese investment strategy) और ऋण को स्वीकार करने के बाद पूर्वी अफ्रीका का देश जिबूती अपने आप को ऐसी ही आर्थिक निर्भरता का शिकार हो गया है जहां वह अपनी स्वायत्तता को खतरा महसूस करने लगा है।
जिबूती, एएनआइ। चीन ऋण देने के नाम पर कमजोर देशों की स्वायत्तता पर नियंत्रण की रणनीति पर चल रहा है। चीन और पूर्वी अफ्रीका के देश जिबूती के संबंध में अध्ययन किए जाने से ड्रैगन के इरादे पूरी तरह साफ हो जाते हैं । इसके लिए वह अपनी योजना बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआइ) का भी इस्तेमाल कर रहा है।
कैथोलिक यूनिवर्सिटी, लिली की एक विशेषज्ञ सोनिया ली गौरीलेक ने कहा है कि चीनी निवेश और ऋण को स्वीकार करने के बाद पूर्वी अफ्रीका का देश जिबूती अपने आप को ऐसी ही आर्थिक निर्भरता का शिकार हो गया है, जहां वह अपनी स्वायत्तता को खतरा महसूस करने लगा है। जिबूती को एक तरह से लाल सागर का प्रवेश द्वार माना गया है और यहां चीन ने रणनीति के साथ उसे आर्थिक रूप से निर्भरता की स्थिति में ला दिया है। यहां चीन ने बेल्ट एंड रोड योजना के लिए अच्छा-खासा निवेश कर दिया है और इस देश को ऋण के दबाव में ले लिया है।
चीन ने इसके लिए यहां लगातार पांच टर्म से काम करने वाले राष्ट्रपति इस्माइल उमर गुलेह का इस्तेमाल किया। चीन ने पहले से ही यहां अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया था। इसके लिए उसने स्कूलों और स्टेडियम के निर्माण में निवेश करना शुरू किया। सड़कों और भवनों यहां कि विदेश विभाग की बिल्डिंग तक का निर्माण किया। चीनी राष्ट्रपति शी जिनफिंग के कार्यकाल में तो बेल्ट एंड रोड योजना के माध्यम से काफी निवेश किया गया।
फ्रांस 24 के अनुसार जिबूती पर चीन का सत्तर फीसद से ज्यादा ऋण है। पर्यवेक्षकों के अनुसार अब यह ऋण उसकी स्वायत्तता को भी खतरा पैदा कर रहा है। जैसा कि श्रीलंका में चीन करना चाहता था। जहां वह अपनी रणनीति के माध्यम से एक बंदरगाह पर कब्जा करना चाहता था। चीन की रणनीति सभी छोटे देशों के लिए इसी तरह की बनी हुई है।