चीन से निपटने के लिए ऑस्टेलिया नौसेना अमेरिका से खरीदेगी लंबी दूरी की एंटी-शिप मिसाइल
मॉरिसन ने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई नौसेना को मजबूत किया जाएगा। ऑस्टेलिया नौसेना अमेरिकी नौसेना से 200 लंबी दूरी की एंटी-शिप मिसाइलें भी खरीदेगा।
मेलबर्न, एजेंसी। चीन सागर में बीजिंग की सक्रियता और पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना की हिंसक झड़प ने ऑस्ट्रेलिया की चिंता बढ़ा दी है। भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीनी दिलचस्पी ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन एक खतरे की घंटी मानते हैं। उन्होंने कहा कि वक्त आ गया है कि अपनी सुरक्षा प्रणाली की समीक्षा की जाए। चीन की बढ़ती आक्रमकता के कारण प्रधानमंत्री मॉरिसन ने कहा क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए देश की रक्षा क्षमताओं को और आधुनिक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता बढ़ रही है। इसके चलते क्षेत्रीय सुरक्षा को संकट उत्पन्न हो गया है।
प्रधानमंत्री ने पेश किया सुरक्षा का रोडमैप
मॉरिसन कहा कि सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए देश को लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल की जरूरत है। उन्होंने कहा भारत-चीन सीमा विवाद और क्षेत्रीय संघर्ष के चलते इसकी जरूरत महसूस की जा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि रक्षा वजट में हथियारों और उपकरणों के उन्नयन पर भी जोर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया मिसाइल विकसित करने में भी निवेश करेगा, जिसकी मारक क्षमता हजारों किलोमीटर होगी। मॉरिसन ने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई नौसेना को मजबूत किया जाएगा। ऑस्टेलिया नौसेना अमेरिकी नौसेना से 200 लंबी दूरी की एंटी-शिप मिसाइलें भी खरीदेगा। इसकी मारक क्षमता 370 किमी है। यह एक हाइपरसोनिक हथियार प्रणाली है।
कोरोना महामारी के बाद दुनिया में संघर्ष बढ़ा
मॉरिसन ने कहा कि कोरोना के प्रकोप के बाद दुनिया तेजी से बदल रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक सरल सच है। कोरोना महामारी के बाद की दुनिया के लिए तैयार होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह दुनिया अधिक खराब है। यह अधिक खतरनाक है और यह अधिक अव्यवस्थित है। मॉरिसन ने कहा इस दुनिया में संघर्ष का खतरा बढ़ रहा है। क्षेत्रीय सैन्य आधुनिकीकरण एक अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। ऐसे में सजग और सतर्क रहने की जरूरत है।
दक्षिण चीन सागर पर चीन की आक्रमकता से सजग हुए पीएम
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती रणनीतिक चुनौती से निपटने के लिए देश की सुरक्षा प्रणाली को नए दृष्टिकोण से सोचने की जरूरत है। उन्होंने भारत का उदाहरण पेश करते हुए कहा कि दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर के बीच सीमा पर आक्रमकता देखी गई है। भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन तेजी से सैन्य और आर्थिक गतिविधियों का विस्तार कर रहा है। वह इस क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाना चाहता है। इससे विभिन्न देशों की चिंता बढ़ गई है। दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर दोनों में चीन क्षेत्रीय विवादों में संघर्षरत है। इस तरह बीजिंग ने कई द्वीपों का निर्माण और सैन्यीकरण किया है। उन्होंने कहा कि यह पूरा इलाका खनिज संपदा और प्राकृतिक संसाधनों के लिहाज से महत्वपूर्ण है। यह वैश्विक व्यापार के लिए भी उपयोगी है।