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शांति के जरिये ही निपटा जा सकता है आपदा, आतंकवाद और गरीबी से : सू की

यूनिवर्सल पीस फेडरेशन की ओर से आयोजित एशिया प्रशांत शिखर सम्मेलन, नेपाल 2018 को संबोधित करते हुए सू की ने विश्व के समक्ष गंभीर चुनौतियों का उल्लेख किया।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Sun, 02 Dec 2018 08:21 AM (IST)Updated: Sun, 02 Dec 2018 08:21 AM (IST)
शांति के जरिये ही निपटा जा सकता है आपदा, आतंकवाद और गरीबी से : सू की
शांति के जरिये ही निपटा जा सकता है आपदा, आतंकवाद और गरीबी से : सू की

काठमांडू, प्रेट्र। म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की ने शनिवार को कहा कि आज विश्व खतरों, विभिन्न प्रकार की आपदाओं, आतंकवाद, गरीबी, अन्याय जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है और शांति के जरिये ही इन चुनौतियों से निपटा जा सकता है और सौहार्द का माहौल कायम किया जा सकता है। यूनिवर्सल पीस फेडरेशन की ओर से आयोजित एशिया प्रशांत शिखर सम्मेलन, नेपाल 2018 को संबोधित करते हुए सू की ने विश्व के समक्ष गंभीर चुनौतियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि दुनिया में तेजी से प्रौद्योगिकी विकास हो रहा है और एक दूसरे के साथ संपर्क एवं निर्भरता भी बढ़ रही है।

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उन्होंने कहा कि संपर्क और निर्भरता बढ़ने से कुछ सहूलियतों के साथ कुछ समस्याएं भी खड़ी हो गई हैं। आज के दौर में कोई भी एकाकी रूप से नहीं रह सकता है। हमें द्विपक्षीय और बहु स्तरीय संपर्क बढ़ाना होगा। दुनिया में उत्पन्न वर्तमान चुनौतियों को देखते हुए सौहार्द का माहौल कायम करने के लिये ‘शांति की संस्कृति’ को विकसित करना जरूरी है।

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित सू की ने कहा कि दुनिया में विविधतापूर्ण समाज को एकसूत्र में बांधकर आगे ले जाने के लिए टिकाऊ विकास जरूरी है। यह समतामूलक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में मानव तस्करी एवं वर्ग संघर्ष बढ़ रहे हैं, जिसके कारण घृणा और भय का माहौल पनप रहा है। ऐसे में शांति की उम्मीद केवल शांति की संस्कृति से ही कायम की जा सकती है।

सू की ने कहा, ‘शांति न केवल हमारे समय की सांस्कृतिक जरूरत है बल्कि यह सभी समय के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि शांति ही विकास की आधारशिला है।’ उन्होंने कहा कि म्यांमार शांति एवं प्रगति के पथ पर ऐसी ही चुनौतियों से जूझ रहा है और समान अवसर पर आधारित विचार के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए फिलीपींस की उपराष्ट्रपति मारिया लियोनोर जेरोन रोबरेडो ने कहा कि आज दुनिया में तेजी से बदलाव आ रहा है और बदलाव के इस दौर में अनेक क्षेत्रों में संरक्षणवाद, राष्ट्रवाद, हिंसा, भेदभाव की स्थिति गंभीर हो रही है।


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