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खटाई में पड़ सकता है अमेरिका-तालिबान शांति समझौता, नाखुश राष्ट्रपति गनी करेंगे ट्रंप से बात

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Fri, 06 Sep 2019 09:32 PM (IST)Updated: Fri, 06 Sep 2019 09:37 PM (IST)
खटाई में पड़ सकता है अमेरिका-तालिबान शांति समझौता, नाखुश राष्ट्रपति गनी करेंगे ट्रंप से बात
खटाई में पड़ सकता है अमेरिका-तालिबान शांति समझौता, नाखुश राष्ट्रपति गनी करेंगे ट्रंप से बात

काबुल, एएनआइ। अमेरिका और तालिबान के बीच होने वाले शांति समझौते पर नाखुशी जता चुके अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी इस मसले पर अब अपने अमेरिकी समकक्ष डोनाल्ड ट्रंप से बात करेंगे। इसके लिए वह शनिवार को अमेरिका रवाना होंगे। गनी के साथ 13 सदस्यीय अफगान प्रतिनिधिमंडल अमेरिका जाएगा।

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तालिबान से वार्ता में अमेरिकी पक्ष की अगुआई करने वाले विशेष दूत जालमे खलीलजाद ने बीते सोमवार को शांति समझौते का मसौदा गनी को दिखाया था। इसके बाद गनी के प्रवक्ता सादिक सिद्दीकी ने कहा था, 'सरकार समझौते को लेकर चिंतित है। हमें इस पर पूर्ण स्पष्टीकरण चाहिए। इसके बाद ही समझौते के खतरे और नकारात्मक प्रभाव का विश्लेषण कर उसका रास्ता निकाला जा सकेगा।' अमेरिका और तालिबान अफगानिस्तान में 18 साल से जारी संघर्ष को खत्म करने के लिए गत दिसंबर से शांति वार्ता कर रहे थे। दोनों पक्षों में हाल में नौवें दौर की वार्ता के बाद शांति समझौते के मसौदे पर मुहर लगी थी।

खटाई में पड़ सकता है समझौता
अफगान सरकार के रुख के चलते शांति समझौता खटाई में पड़ता दिख रहा है। अफगान अधिकारियों का कहना है कि समझौते से तालिबान शासन की वापसी का खतरा हो सकता है। कई अमेरिकी अधिकारी भी समझौते की सफलता पर संदेह जता चुके हैं।

विदेश मंत्री पोंपियो भी कर चुके हैं दस्तखत से इन्कार
टाइम मैगजीन ने बुधवार को दावा किया था कि अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया है। इसकी वजह प्रस्तावित समझौते में अफगानिस्तान में अलकायदा को हराने के लिए अमेरिकी बलों के बने रहने या लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार की कोई गारंटी नहीं होने का बताया गया है। समझौते में अफगानिस्तान में युद्ध खत्म होने की भी गारंटी नहीं है।

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