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आसियान से पाक-चीन पर साधा निशाना, आतंकवाद और चरमपंथ सबसे बड़ी चुनौती: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आसियान के मंच से पाकिस्तान और चीन को कड़ा संदेश दिया।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 15 Nov 2017 02:55 AM (IST)Updated: Wed, 15 Nov 2017 02:58 AM (IST)
आसियान से पाक-चीन पर साधा निशाना, आतंकवाद और चरमपंथ सबसे बड़ी चुनौती: मोदी
आसियान से पाक-चीन पर साधा निशाना, आतंकवाद और चरमपंथ सबसे बड़ी चुनौती: मोदी

मनीला, प्रेट्र। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को आसियान के मंच से पाकिस्तान और चीन को कड़ा संदेश दिया। दोनों ही देशों का नाम लिए बगैर प्रधानमंत्री ने जहां आतंकवाद और चरमपंथ को क्षेत्र के लिए सबसे बड़ी चुनौती करार दिया। वहीं, पूरे दक्षिण चीन सागर (एससीएस) पर दावा करने वाले चीन को सख्त संदेश देते हुए कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित क्षेत्रीय सुरक्षा व्यवस्था का पक्षधर है। प्रधानमंत्री के इस बयान से साफ है कि इस मसले पर भारत की अन्य प्रमुख शक्तियों के साथ सहमति बन चुकी है।

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- दक्षिण चीन सागर में नियम आधारित सुरक्षा की वकालत
- उत्तर कोरिया को परमाणु हथियार मिलने की जांच की मांग

भारत-आसियान सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने आतंकवाद और चरमपंथ को क्षेत्र के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब क्षेत्र के सभी देश मिलकर सामूहिक रूप से इस चुनौती का सामना करें। यही नहीं, आतंकवाद पर गंभीरता प्रदर्शित करते हुए पूर्वी एशिया सम्मेलन ने भी मनीलांड्रिंग और आतंकवाद को वित्त पोषण के खिलाफ अलग से घोषणापत्र जारी किया। पूर्वी एशिया सम्मेलन में 10 आसियान देशों के अलावा अमेरिका, भारत, रूस, चीन, और जापान समेत नौ बड़े देश शामिल हैं। घोषणा पत्र में आतंकी नेटवर्कों की चुनौती से निपटने के लिए एकजुटता के साथ कार्य करने का दृढ़ संकल्प व्यक्त किया गया।

उत्तर कोरिया का भी जिक्र

प्रधानमंत्री ने कोरियाई प्रायद्वीप को परमाणु मुक्त बनाने और उत्तर कोरिया को परमाणु हथियार तकनीक की लीकेज की विस्तृत जांच कराने का भी आह्वïान किया। उन्होंने कहा कि जिन्होंने भी इन गैरकानूनी कार्यक्रमों का समर्थन किया है, उनकी पहचान की जाए। ऐसी रिपोट्र्स हैं कि पाकिस्तान ने परमाणु कार्यक्रम में उत्तर कोरिया की मदद की है।

दक्षिण चीन सागर में स्वतंत्र एवं मुक्त परिवहन की वकालत
ङ्क्षहद-प्रशांत क्षेत्र का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि भारत क्षेत्र में नियम आधारित सुरक्षा व्यवस्था स्थापित करने के लिए आसियान को अपने समर्थन का आश्वासन देता है। ऐसा होने पर क्षेत्रीय हित और शांतिपूर्ण विकास सुनिश्चित होगा। प्रधानमंत्री का यह बयान उनके और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच वार्ता के एक दिन बाद आया है जिसमें दोनों नेताओं ने स्वतंत्र और मुक्त ङ्क्षहद-प्रशांत क्षेत्र के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। इस संदर्भ में मोदी के बयान को अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के साथ व्यापक क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे में बड़ी भूमिका निभाने की भारत की सहमति के रूप में देखा जा रहा है।
आसियान सम्मेलन में भी दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक रुख का मुद्दा प्रमुखता से उठा। वियतनाम, फिलीपींस और ब्रुनेई जैसे आसियान देशों का दावा चीन के दावे के उलट है। आसियान देश सभी पक्षों के लिए दक्षिण चीन सागर में कानूनी रूप से अनिवार्य आचार संहिता की मांग कर रहे हैं। वहीं, भारत समुद्री कानून से संबंधित 1982 के संयुक्त राष्ट्र समझौते समेत अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों के मुताबिक दक्षिण चीन सागर में परिवहन की आजादी और संसाधनों तक पहुंच का समर्थन करता है। यह क्षेत्र हाइड्रोकार्बन का बड़ा स्रोत है। जबकि, चीन ऐसे किसी भी फ्रेमवर्क का विरोध कर रहा है। उसका कहना है कि वह द्विपक्षीय तंत्र के जरिये संबंधित देशों के साथ इस विवाद को सुलझा लेगा।

गणतंत्र दिवस समारोह के लिए आसियान नेताओं को आमंत्रण
प्रधानमंत्री ने आसियान के सभी 10 देशों के नेताओं को आगामी गणतंत्र दिवस समारोह और अगले साल 25 जनवरी को भारत-आसियान विशेष शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया। मोदी ने कहा, 'भारत के 125 करोड़ लोग 69वें गणतंत्र दिवस समारोह के लिए आसियान नेताओं का स्वागत करने का इंतजार कर रहे हैं।'

स्वदेश रवाना
फिलीपींस की तीन दिवसीय यात्रा पूरी कर प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार रात स्वदेश रवाना हो गए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट कर यह जानकारी दी।

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