मलबे में तलाशी जा रही हैं जिंदगियां, बेरूत में धमाके से दवाओं के साथ खाद्य संकट भी गहराया
बेरूत में हुए भीषण धमाके की वजह से वहां पर कई तरह का संकट खड़ा हो गया है। लोगों को पानी खाना और दवा तक नहीं मिल रही है। यूएन ने इस पर चिंता जाहिर की है।
जिनेवा (संयुक्त राष्ट्र)। संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों ने भीषण विस्फोट के बाद तबाह हुए लेबनान के बेरूत शहर में तत्काल व्यापक सहायता उपलब्ध कराने पर जोर दिया है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक इस विस्फोट में अब तक 150 से ज्यादा लोगों के मौत हो चुकी है और हजारों के करीब घायल हुए हैं। इसके अलावा इतनी ही तादाद में यहां पर लोग बेघर भी हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र ने आशंका जताई है कि राहत और बचावकार्य के बीच हताहतों की संख्या बढ़ भी सकती है। आपको बता दें कि दो दिन पहले बेरूत के वेयरहाउस में 2700 किग्रा से अधिक मात्रा में रखे अमोनियम नाइट्रेट में जबरदस्त धमाका हुआ था। इस धमाके के बाद वहां पर कई मीटर चौड़ा गड्ढा हो गया था।
धमाका इतना तेज था कि इसकी शॉकवेव से करीब दस किमी के दायरे में मकान, गाडि़यां नष्ट हो गई थीं। धमाके वाली जगह के आसपास की कई इमारतें तो पूरी तरह से मलबे में तब्दील हो गईं थीं। इतना ही नहीं यूएन की तरफ से कहा गया है कि इस विस्फोट से वहां पर रखा गया जरूरी दवाओं का स्टॉक भी बर्बाद हो गया है। इसकी वजह से खाने-पीने की चीजों पर भी संकट पैदा हो गया है। सरकार की तरफ से इस बात की आशंका जताई गई है कि वेयर हाउस में रखे अमोनियम नाइट्रेट के रखरखाव की सही व्यवस्था करने में कर्मचारियों ने जबरदस्त लापरवाही बरती थी। सरकार की तरफ से इस घटना के जिम्मेदार कर्मचारियों को बख्शे न जाने की बात तक कही गई है। वहीं विस्फोट के बाद अपना सब कुछ खो चुके लोग भी सरकार पर अंगुली उठा रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि उनका सब कुछ बर्बाद हो गया है इसका जिम्मेदार कौन है। इस धमाके के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति भी स्थिति का जायजा लेने लेबनान पहुंचे थे। कई देशों ने इस घटना के बाद लेबनान को सहायता भेजी थी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्ता क्रिस्टियान लिंडमियर ने घटना के बाद की जानकारी देते हुए कहा है कि इस धमाके के बाद बहुत से लोगों के बारे में कोई जानकारी हाथ नहीं लग सकती है। अस्पतालों में इतनी बड़ी संख्या में घायल पहुंचे हैं कि उनको काफी दबाव में काम करना पड़ रहा है। जिनेवा में की गई वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये उन्होंने बताया कि तीन केंद्रों पर स्वास्थ्य सेवाए ठप हो गई हैं जबकि दो अन्य केंद्रों को भी इस धमाके से आंशिक क्षति पहुंची है। यूएन एजेंसी के प्रवक्ता ने कहा है कि फिलहाल घायलों का इलाज करने, उनकी तलाश और बचाव का कार्य सबसे बड़ा है। उन्होंने कहा है कि फिलहाल में मलबे से लोगों को जिंदा बाहर निकालना बड़ी चुनौती है और यही प्राथमिकता भी है। उनके मुताबिक धमाके के इतने दिन बाद भी बहुत से लोग अब भी मलबे में दबे हुए हैं जिनके जीवन पर समय के साथ संकट बढ़ता ही जा रहा है। उन्होंने इस दौरान मीडिया रिपोर्ट्स का भी हवाला दिया जिनमें कहा जा रहा है कि मलबे में कई लोग जिंदा दबे हुए हैं।
यूएन एजेंसी की तरफ से कहा गया है कि बेरूत में बचाव अभियान चलाने के साथ-साथ प्रभावित लोगों के लिये भोजन, शरण, दवाएं मेडिकल उपकरणों की आपूर्ति की व्यवस्था की जा रही है। साथ ही ऐसी बीमारियों के उपचार की व्यवस्था भी की जा रही है जिनका इलाज अब अस्पताल में संभव नहीं है। यूएन की तरफ से ये भी कहा गया है कि अमोनियम नाइट्रेट के भीषण धमाके के बाद शहर की हवा में हानिकारक कण घुल गए हैं, जो बेहद चिंता का सबब बन गए हैं। प्रवक्ता के मुताबिक लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस धमाके के दो घंटे बाद हवा में मौजूद विषाक्तता के स्तर की जांच की थी।
एजेंसी की तरफ से कहा गया है कि इस वक्त सबसे बड़ी और पहली प्राथमिकता सबसे निर्बल लोगों को चिकित्सा सहित अन्य जरूरी मदद प्रदान करना है। लेबनान पर ये संकट ऐसे समय में आया है जब पूरा विश्व और खुद लेबनान कोविड-19 महामारी का सामना कर रहा है और इसके कारण शहर के अस्पतालों में पहले से ही काफी मरीज हैं। यहां पर कोविड-19 संक्रमण के मामलों में भी उछाल आया है दो दिन पहले यहां पर इसके 225 मरीज सामने आए हैं। आपको बता दें कि लेबनान में कोविड-19 के अब तक 5951 मामले दर्ज किये गए हैं और 70 लोगों की मौत हो चुकी है।
इस धमाके का सबसे बड़ा नुकसान ये भी हुआ है कि इसकी वजह से इस वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई के लिए जुटाए गई मेडिकल बचाव सामग्री भी नष्ट हो गई है। इसकी वजह से यहं पर हालात काफी चुनौतीपूर्ण हो गए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने राहत अभियान को सहारा देने के लिये डेढ़ करोड़ डॉलर की राशि की अपील जारी की है। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस विस्फोट में 80 हजार से ज्यादा ऐसे घर क्षतिग्रस्त हुए हैं जिनमें बच्चे रहते थे। अनेक घरों में पीने का पानी और बिजली की आपूर्ति इस धमाके की वजह से अब पूरी तरह से ठप हो गई है।
यूएन एजेंसी संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस विस्फोट का असर यहां पर रह रहे शरणार्थियों पर भी पड़ा है। इसमें शरणर्थी भी बड़ी संख्या में हताहत हुए हैं। गौरतलब है कि अनेक देशों में हिंसक संघर्षों के कारण विस्थापित हुए लगभग 15 लाख लोग भी लेबनान में ही रहते हैं। इनमें एक बड़ी संख्या सीरियाई नागरिकों की है। धमाके के बाद लाखों लोगों के सामने स्थायी घरों में शरण लेना मजबूरी बन गया है। हालात के मद्देनजर यूएन की तरफ से शरण संबंधी किट, प्लास्टिक शीट, कंबल और गद्दे सहित अन्य राहत सामग्री उपलब्ध कराने के साथ-साथा वेंटीलेटर, मेडिकल आपूर्ति और अन्य उपकरणों की व्यवस्था की जा रही है।
इस धमाके की वजह से अनाज के भी कई भंडर बर्बाद हो गए हैं। इसकी वजह से खाद्य सुरक्षा पर संकट की आशंका जताई गई है। विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने प्रभावित लोगों की जरूरतें पूरी करने के लिए लेबनान में खाद्य सुरक्षा के लिये अनाज और आटे का आयात करने घोषणा की है। यूएन एजेंसी के सर्वेक्षण में ये बात भी सामने आई है कि लॉकडाउन के बाद लेबनान में भोजन की उपलब्धता बड़ी चिंता का एक कारण बन गई है। यहां पर हर दो में से एक व्यक्ति को भरपूर भोजन नहीं मिल रहा है जिस पर यूएन ने चिंता जताई है।
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