आर्थिक संकट से जूझ रहा संयुक्त राष्ट्र, पहली बार इतनी बुरी स्थिति : एंटोनियो गुतेरस
संयुक्त राष्ट्र कर्मियों को लिखे पत्र में गुतेरस ने कहा कि उन्होंने संगठन के सामने आ रहे कठिन आर्थिक हालात के संबंध में सदस्य देशों को आगाह किया है।
संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। संयुक्त राष्ट्र में धन की कमी के खतरे की ओर ध्यान खींचते हुए महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने सदस्य देशों से अनिवार्य अनुदान की राशि पूरी और समय पर अदा करने का आग्रह किया है। संयुक्त राष्ट्र कर्मियों को लिखे पत्र में गुतेरस ने कहा कि उन्होंने संगठन के सामने आ रहे कठिन आर्थिक हालात के संबंध में सदस्य देशों को आगाह किया है।
उन्होंने पत्र में लिखा, 'नियमित बजट में सदस्य देशों की ओर से अनुदान राशि अदा करने में देरी के चलते नगदी की कमी का सामना जिस तरह हम कर रहे हैं, वैसा पहले कभी नहीं किया।' उन्होंने कहा है कि किसी कैलेंडर वर्ष में हमारा धन इतनी जल्दी इतना कम कभी नहीं हुआ।
26 जुलाई तक भारत समेत 112 सदस्य देशों ने अपने नियमित बजट बकाये का पूरा भुगतान कर दिया है। भारत ने इस साल 29 जनवरी को 1.79 करोड़ डॉलर (लगभग 123 करोड़ रुपये) का भुगतान किया था। इस साल जून के आखिर में सदस्य देशों द्वारा 2008 के आकलन के लिए अदा की गई राशि करीब 1.49 अरब डॉलर (लगभग 10,238 करोड़ रुपये) रही। पिछले साल इसी अवधि में नियमित बजट में जमा राशि 1.70 अरब डॉलर (लगभग 11,680 करोड़ रुपये) से कुछ अधिक थी।
कुल 81 देशों को अभी अपने नियमित बजट बकाये का भुगतान करना है। इनमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, ब्राजील, मिस्त्र, इजरायल, मालदीव, पाकिस्तान, सऊदी अरब, सेशेल्स, सूडान, सीरिया, अमेरिका और जिम्बाब्वे शामिल हैं।
अमेरिका उठाता है सबसे ज्यादा खर्च
संयुक्त राष्ट्र के कुल खर्च का सबसे ज्यादा हिस्सा अमेरिका देता है। वह वैश्विक निकाय को सालाना मुख्य बजट 540 करोड़ डॉलर (लगभग 37,095 करोड़ रुपये) का 22 फीसद भुगतान करता है। शांति अभियानों का वह 28.5 फीसद खर्च उठाता है। शांति अभियानों का सालाना बजट 790 करोड़ डॉलर (लगभग 54,245 करोड़ रुपये) का है। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली रंधावा ने कहा कि अन्य देशों को अपना भुगतान बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका अपना हिस्सा 25 फीसद से आगे नहीं बढ़ाएगा।