Move to Jagran APP

एंजेला मर्केल ने चीन को दी चेतावनी, यूरोप में बीजिंग कर पाएगा सीमित व्यापार

जर्मनी चीन के प्रति कठोर कदम उठाने वाला है। चांसलर एंजेला मर्केल ने चीन को चेतावनी दी है। मार्केल ने कहा कि अगर चीन एक बड़ी शुरुआत प्रदान करने के लिए नहीं मानता है तो उसे इसका अंजाम भुगतना पड़ सकता है।

By Pooja SinghEdited By: Published: Sun, 04 Oct 2020 08:49 AM (IST)Updated: Sun, 04 Oct 2020 10:41 AM (IST)
एंजेला मर्केल ने चीन को दी चेतावनी, यूरोप में बीजिंग कर पाएगा सीमित व्यापार
एंजेला मर्केल ने चीन को यूरोप में बीजिंग को सीमित व्यापार करने पर चेतावनी दी है।

बर्लिन, एएनआइ। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने चीन को चेतावनी दी है। जर्मनी यूरोप में बीजिंग द्वारा व्यापार करने के रास्ते को सीमित करने पर विचार कर रहा है। एंजेला ने कहा कि अगर चीन एक बड़ी शुरुआत प्रदान करने के लिए सहमत नहीं होता है तो वह यह कदम उठा सकते हैं। 

loksabha election banner

चीन के साथ निवेश समझौते के लिए चीन से उम्मीद

मर्केल ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट (SCMP) के हवाले से कहा, "अगर कुछ क्षेत्रों के लिए चीन की ओर से कोई बाजार पहुंच नहीं है, तो निश्चित रूप से इस तथ्य पर भी ध्यान दिया जाएगा कि यूरोपीय बाजार में बाजार की पहुंच कम होगी। मर्केल यूरोपीय संघ के दो दिवसीय विशेष सम्मेलन के बाद ब्रसेल्स में शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए, "हम स्वाभाविक रूप से चीन के साथ निवेश समझौते के लिए पारस्परिकता की उम्मीद करते हैं, लेकिन चीन के संबंध काफी दिक्कतें हैं, जिस पर आगे चर्चा की जाएगी'।

इससे पहले हांगकांग मुद्दे पर चीन की आलोचना

बता दें कि इससे पहले बुधवार को मर्केल ने हांगकांग में हाल के घटनाक्रमों के साथ मानवाधिकार मुद्दों पर चीन की आलोचना की थी। मर्केल ने बुधवार को जर्मन संसद बुंडेस्टाग को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी करते हुए कहा था कि चीन के लिए विकास की चुनौतियों को देखते हुए ये लक्ष्य वास्तव में महत्वाकांक्षी हैं और उन्हें हमारे वादों पर खरा उतरने के लिए यूरोप में भी हमें प्रेरणा प्रदान करनी चाहिए।

जर्मनी ने एशिया में अपने सबसे करीबी साझीदार चीन को बड़ा राजनयिक झटका दिया था। जर्मनी ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लोकतांत्रिक देशों के साथ भागीदारी मजबूत करने का फैसला बहुत सोच-समझकर किया है। दरअसल, इस क्षेत्र से बर्लिन के भी व्यापारिक, आर्थिक और सामरिक हित जुड़े हैं। इससे चीन खुद को घिरता हुआ महसूस करेगा और जर्मनी से नाराज होगा।

मानवाधिकारों पर चीन के ट्रैक रिकॉर्ड और एशियाई देशों पर अपनी आर्थिक निर्भरता को लेकर यूरोप की चिंताओं के मद्देनजर ही जर्मनी की नई हिंद-प्रशांत रणनीति सामने आई है। बर्लिन ने दो सितंबर को ही हिंद-प्रशांत रणनीति औपचारिक रूप से अपनाई है। समुद्री व्यापार मार्गों को चीन से सुरक्षित रखने की चिंता सबको है। जर्मनी भी इस पर विशेष जोर दे रहा है। जर्मनी के इस कदम का भारत, जापान, आस्ट्रेलिया और आशियान के सदस्य देशों ने समर्थन किया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.