जानें-आतंक के आका के लिए क्यों सुरक्षित ठिकाना था dead cities का बारिशा गांव
आतंक का आका बना बगदादी अब मारा जा चुका है। जहां ये मारा गया वो कभी इसके छिपने के लिए सबसे सुरक्षित इलाका हुआ करता था। इसकी कुछ खास वजह भी थीं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के प्रमुख और खूंखार आतंकी अबू-बकर-अल- बगदादी (Abu Bakr al-Baghdadi) के खात्मे के बाद आईएस का बिखराव तय माना जा रहा है। छह नाकाम कोशिशों के बाद अमेरिका को सातवीं बार बगदादी को मारने में सफलता हासिल हुई है। इस बार बाकायदा डीएनए से बगदादी के मारे जाने की पुष्टि हुई है। हालांकि बगदादी का अंत जहां पर हुआ है कभी यह पूरा इलाका इसका गढ़ हुआ करता था। आईएस (Islamic State/ISIS) का फैलाव सऊदी अरब सीरिया, इराक और तुर्की के सीमावर्ती इलाकों के अलावा अफगानिस्तान तक था। अफगानिस्तान में तालिबान से इसका गठजोड़ था। दोनों ने मिलकर कई जगहों पर हमलों को अंजाम दिया। इस गठजोड़ के बाद भी तालिबान और आईएस की सीमाएं काफी हद तक बंटी हुई थीं। इसमें तालिबान का अफगानिस्तान और IS का दूसरे इलाकों पर कब्जा था। इसके अलावा अलकायदा का से भी आईएस का गठजोड़ बेहद मजबूत था।
सुर्खियों में आया बारिशा
अब हम उस जगह के बारे में आपको जरा बता देते हैं जहां पर बगदादी को ढेर करने में अमेरिकी जवानों को सफलता हासिल हुई। यह जगह सीरिया में हैं। इसका नाम है बारिशा। यह एक गांव है जो तुर्की की सीमा से कोई दस किमी की दूरी पर था। वहीं सीरिया की राजधानी अलेप्पो से इसकी दूरी करीब 90 किमी थी। अलेप्पो से यदि सड़क से यह दूरी तय की जाए तो करीब दो घंटे का समय लगता है। वहीं सीरिया के ही इदलिब से यह 32 किमी की दूरी पर स्थित है। बगदादी की मौत के बाद यह पूरा इलाका सुर्खियों में आ गया है।
बेहद छोटी आबादी
बारिशा गांव (Barisha or Baricha Village) हरेम जिले में आता है जिस पर सीरिया के इदलिब प्रांत (Idlib Government) की हुकूमत चलती है। बारिशा अ'ला' पहाडि़यों (A'La' Mountain) के बीच बसा एक छोटा सा गांव है। आपको जानकर हैरत होगी कि यहां फैली खामोशी की बदौलत इस इलाके को मृत शहर या डेड सिटी (Dead Cities) भी कहा जाता है। सीरिया के सेंट्रल ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टक्स (Syria Central Bureau of Statistics) के आंकड़ों के मुताबिक 2004 में इसकी आबादी महज 1143 थी। आपको बता दें कि यह गांव सीरिया के उस प्राचीन इतिहास का हिस्सा है जिसका संबंध बीजांटिन पीरियड (Byzantine period) से है। यह रोमन साम्राज्य की याद दिलाता है। इस काल के यहां पर अब भी कई अवशेष मौजूद हैं।
पूरे इलाके में छोटी बड़ी खुफाएं
इस पूरे इलाके की खासियत है कि यहां पर छोटी-छोटी कई गुफाएं मौजूद हैं, जो बेहद प्राचीन हैं। यही वह है कि बगदादी अपने छिपने के लिए मुफीद जगह मानता था। इसके अलावा यहां पर कई सुरंग भी हैं जो आतंकियों ने अपने लिए तैयार की हुई हैं। यह इलाका आईएस का गढ़ होने के साथ आतंकियों को ट्रेनिंग वाला इलाका भी था। यहां से ही आईएस के आतंकी तैयार होकर दूसरी जगहों पर भेजे जाते थे और वो अपने खूनी खेल को अंजाम देते थे।
बगदादी की जिन फोटो को आप ऊपर देख रहे हैं उनमें से पहली फोटो को इराक के आंतरिक मंत्रालय ने 29 जनवरी 2014 को रिलीज किया था। जबकि दूसरी फोटो को आईएस द्वारा रिलीज वीडियो से काटकर निकाला गया है। आईएस ने ये वीडियो 5 जुलाई 2014 को रिलीज किया था, जिसमें बगदादी अपने आतंकियों को हमले तेज करने की हिदायत दे रहा था। यह वीडियो मोसुल की नूरा मस्जिद में फिल्माया गया था। 21 जून 2017 को इस मस्जिद को उड़ा दिया गया था। आपको यहां पर ये भी बता दें कि सीरियन ऑब्जरवेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने 11 जुलाई 2017 को आईएस के टॉप लीडर्स के हवाले से बगदादी के मारे जाने की पुष्टि की थी। अमेरिका ने उस पर दस मिलियन अमेरिकी डॉलर का ईनाम रखा था। वर्तमान में यदि इस रकम को भारतीय रुपये आंका जाए तो यह 70 करोड़ रुपये से अधिक बैठती है।
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