मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी ने कहा, मलेशिया को क्रूर मौत की सजा को करना होगा खत्म
मलेशिया में हत्या अपहरण हथियार रखने और नशीले पदार्थों की तस्करी जैसे अपराधों में मौत की सजा अनिवार्य है।
कुआलालंपुर, एएफपी। मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि मलेशिया सरकार पर मृत्युदंड खत्म करने का दबाव है। सरकार को जल्द से जल्द मौत की सजा पर रोक लगा देनी चाहिए। इसके साथ ही संस्था ने कहा कि मलेशियाई पुलिस कभी-कभी मौत की सजा के मामलों में संदिग्धों से पूछताछ के दौरान बहुत ज्यादा टॉर्चर करती है। पुलिस के ये परीक्षण पूरी तरह से अनुचित हैं।
दक्षिण पूर्व एशियाई देश में दर्जनों अपराधों के लिए मौत की सजा है और यह हत्या और नशीले पदार्थों की तस्करी सहित कई अपराधों के लिए अनिवार्य है। मलेशियाई सरकार पर तंज कसते हुए मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी ने कहा कि एक सुधारवादी संगठन जिसने 2018 में सत्ता संभाली थी, पूरी तरह से मौत की सजा खत्म करने का संकल्प लिया था।
फांसी या जेल की सजा दने का आदेश
कई विरोधों का सामना करने के बाद सरकार ने केवल कुछ अपराधों के लिए ही अनिवार्य मौत की सजा की घोषणा की। ऐसे मामले न्यायाधीशों को यह तय करने के लिए छोड़ देता है कि सजा के तौर पर किस को फांसी या जेल की सजा देने का आदेश दिया जाए। वहीं, एक नई रिपोर्ट में मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी ने कहा कि यातनाएं और मार-पीट अपराधियों को मौत की सजा के आरोपों से कबूल करने के लिए किया जाता था।
गलत बयान पर कराए गए हस्ताक्षर
2005 में मैथम्फेटामाइन के कब्जे में गिरफ्तार एक मलेशियाई, ने कहा कि पुलिस ने पूछताछ के दौरान उसकी उंगली तोड़ दी थी। वहीं, एमनेस्टी के अनुसार पूछताछ के दौरान उससे गलत बयान पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया। राइट्स ग्रुप ने कहा कि बचाव पक्ष के लिए यह आम बात थी कि अदालत में आरोप लगने तक कोई वकील बिना किसी कानूनी सहायता के नहीं जा सकता था, और उन्हें अक्सर कानूनी सहायता के बिना छोड़ दिया जाता था।
मौत की सजा न्याय प्रणाली पर धब्बा
एमनेस्टी इंटरनेशनल मलेशिया के कार्यकारी निदेशक शम्मी दर्शनी ने कहा कि माफी प्रक्रिया के आरोपों और अन्य आरोपों से यह स्पष्ट है कि मौत की सजा मलेशिया की आपराधिक न्याय प्रणाली पर एक धब्बा है। एमनेस्टी इंटरनेशनल के रिसर्च से पता चलता है कि मलेशिया सरकार को अब बिना किसी देरी के इस क्रूर और अमानवीय सजा को खत्म कर देना चाहिए। सरकार को अपने वादे का सम्मान करना चाहिए