31 मार्च से शुरू होगी तालिबानी कैदियों की रिहाई, वार्ता के लिए अफगान सरकार ने तय किए 20 नाम
तालिबान के साथ वार्ता को अफगान राष्ट्रपति ने 20 नाम तय कर दिए हैं। 31 मार्च से वहां पर तालिबान कैदियों की रिहाई का प्रोसेस भी शुरू हो जाएगा।
काबुल। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने तालिबान से बातचीत के लिए 20 नाम आखिरकार तय कर दिए हैं। काफी लंबे समय से आतंकवाद के साए में जी रहे अफगानिस्तान में इस फैसले के बाद उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही यहां पर गोलियों और बमों की आवाजें बंद हो जाएंगी। इतना ही नहीं 31 मार्च को तालिबानी कैदियों की रिहाई का प्रोसेस भी शुरू हो जाएगा। तालिबान प्रवक्ता सुहेल शाहीन ने एक ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है कि बुधवार को जो अहम वार्ता हुई थी उसके बाद ये फैसला लिया गया है। इस वार्ता में तालिबान और अफगान सरकार के नुमांइदों के अलावा रेडक्रॉस, अमेरिका, कतर के नुमाइंदे भी शामिल हुए थे।
अफगानिस्तान के अखबार टोलो न्यूज के मुताबिक ये वार्ता वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पांच अलग-अलग जगहों पर बैठे वार्ताकारों के बीच हुई थी। इसके बाद अफगान सरकार ने इस बात पर सहमति जताई कि 31 मार्च को तालिबान के कुछ लोग बगराम की जेल में जाकर अपने लड़ाकों की रिहाई के लिए उनकी पहचान शुरू करेंगे। इस बाबत नेशनल सिक्योरिटी कांउसिल के अधिकारी ने कहा कि इस कदम को उठाने से पहले पीस इनिशियल कॉन्टेक्ट ग्रुप के सदस्यों के बीच वार्ता हुई थी।
इस वार्ता के बाद अब तालिबान की तरफ से वार्ता में शामिल होने वाले सदस्य अफगान सरकार केसाथ आमने सामने बैठकर बात करने पर राजी हो गए हैं। अमेरिका के विशेष दूत जालमे खलिजाद ने भी ट्वीट कर कहा कि ये दोनों ही पक्षों के बीच दूसरे दौर की बातचीत थी। दोनों ही कैदियों की रिहाई को लेकर राजी थे जो भविष्य के लिए एक अच्छा संदेश है।
उनका कहना है कि अफगानिस्तान में तालिबान से वार्ता को लेकर काफी सकारात्मक माहौल बन रहा है। इससे ये उम्मीद की जा रही है कि शांति प्रक्रिया में कोई बाधा नहीं आएगी। आपको बता दें कि बुधवार को बैठक में जिन लोगों ने हिस्सा लिया था उनमें जालमे खलिजाद के अलावा, कतर के विशेष दूत डॉक्टर मुतलाक अल कातनी, आईसीआरसी प्रमुख जुआन पेड्रो ने हिस्सा लिया था।
जहां तक राष्ट्रपति गनी द्वारा तालिबान से वार्ता के लिए जिन बीस नामों को अंतिम रूप दिया गया है उनमें मासूम स्टानिकजई, जकिया वार्डक, डॉ शहला फरीद, मोहम्मद नाटीकी हाफिज मंसूर, नादेर नादरी, अब्दुल मतीन बेक, इनायतुल्लाह बलीघ, मोहम्मद अमीन करीम, हबीबा साराबी, ज़ैनब मुहम्मद, ज़रा अहमद मोक़बेल, अब्दुल हादी अरगंडीवाल, शरीफा ज़ुर्मती जनरल अयूब अंसारी, बतुर दोस्तम, डॉ रसूल तालिब, कलीमुल्लाह नकबी, खालिद नूर, डॉ अमीन अहमदी शामिल हैं।
इस वार्ता के शुरू होने के बाद अफगानिस्तान में भविष्य में शांति बहाली की उम्मीद जताई जा सकती है। आपको बता दें कि राष्ट्रपति ट्रंप ने यहां से अपनी सेना को बाहर निकालने का एलान काफी समय पहले कर दिया था, लेकिन तालिबान से समझौते के बाद ही यह मुमकिन होता। अब जबकि अमेरिका से तालिबान का समझौता हो गया है और अफगानिस्तान सरकार से बातचीत भी शुरू हो गई है तो माना जा सकता है कि भविष्य में यहां पर हो रहे हमलों में कमी आएगी।
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