Afghanistan: तालिबान राज में पत्रकारों का बुरा हाल, लगभग 60 फीसद ने छोड़ दिया पेशा; 219 मीडिया संस्थान हुए बंद
Afghanistans Media in Doom अफगानिस्तान का मीडिया तालिबान शासन के बाद से खत्म होता दिख रहा है। लगभग 60 फीसद पत्रकारों ने अपना पेशा तक छोड़ दिया है। वहीं 547 मीडिया आउटलेट में से 219 ने अपनी गतिविधियां बंद कर दी हैं।
काबुल, एजेंसी। अफगानिस्तान में पत्रकारों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। तालिबान राज आने के बाद से वहां का मीडिया लगातार खत्म होता दिखाई दे रहा है। मीडिया के खोते अस्तित्व पर रिपोर्टर्स विदाउट बार्डर्स ने भी चिंता व्यक्त की है और कहा कि तालिबान के आने के बाद से देश ने अपने मीडिया आउटलेट्स के 39.59 फीसद और अपने लगभग 60 प्रतिशत पत्रकारों को खो दिया है। रिपोर्टर्स विदाउट बार्डर्स एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी और गैर-सरकारी संगठन है, जिसका उद्देश्य सूचना की स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करना है।
प्रेस की स्वतंत्रता पर हो रहा प्रहार
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) सर्वेक्षण के अनुसार 15 अगस्त 2021 को तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान ने विशेष रूप से महिला पत्रकार को खो दिया है। इनमें से तीन चौथाई अब बेरोजगार हैं और कई तो 11 प्रांतों में मौजूद भी नहीं हैं। यह सब गहरे आर्थिक संकट और प्रेस की स्वतंत्रता पर रोक के चलते हुआ है।
तालिबान राज में पत्रकारिता हो रही खत्म
टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, रिपोर्ट से पता चला है कि अफगानिस्तान में पत्रकारिता पर काफी हद तक अंकुश लगा दिया गया है और पत्रकारों और मीडिया आउटलेट्स की संख्या में कमी कर दी गई है। आरएसएफ के महासचिव क्रिस्टोफ डेलॉयर ने कहा कि अफगानिस्तान में पिछले एक साल के दौरान पत्रकारिता को खत्म कर दिया गया है।
219 मीडिया संस्थान हुए बंद
रिपोर्ट में कहा गया है कि मीडिया और पत्रकारों पर अन्यायपूर्ण नियम लागू किए जा रहे हैं। ये सभी नियम मीडिया की स्वतंत्रता को खत्म कर रहे हैं और दमन और उत्पीड़न का रास्ता खोल रहे हैं। तालिबान राज के बाद तुलनात्मक रूप से, स्थिति काफी हद तक बिगड़ गई है और इसकी पुष्टि 15 अगस्त 2021 से पहले के आंकड़ों से होती है। आरएसएफ की रिपोर्ट के अनुसार, 15 अगस्त 2021 से पहले अफगानिस्तान में 547 मीडिया आउटलेट थे, जबकि एक साल बाद 2022 में 219 ने अपनी गतिविधियां बंद कर दी हैं।