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तालिबान राज में सूचनाओं की कमी से अफगान पत्रकार चिंतित, अंतरराष्ट्रीय संगठनों से की ये अपील

अफगानिस्तान पत्रकार संघ ने मीडिया की स्वतंत्रता का समर्थन करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठनों से कहा कि सरकारी विभागों में प्रवक्ताओं के होने के बावजूद सूचनाओं का भारी अभाव है। उन्होंने सोमवार को इस्लामिक अमीरात के अधिकारियों से पत्रकारों की समस्या के समाधान के लिए कदम उठाने का आह्वान किया।

By Manish PandeyEdited By: Published: Wed, 20 Oct 2021 09:22 AM (IST)Updated: Wed, 20 Oct 2021 09:22 AM (IST)
तालिबान राज में सूचनाओं की कमी से अफगान पत्रकार चिंतित, अंतरराष्ट्रीय संगठनों से की ये अपील
लिबान के अधिकारियों से पत्रकारों की समस्याओं के समाधान का आह्वान

काबुल, एएनआइ। अफगानिस्तान के पत्रकारों ने देश में तालिबान राज में सूचनाओं की कमी पर चिंता जताई है। अफगानिस्तान पत्रकार संघ ने मीडिया की स्वतंत्रता का समर्थन करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठनों से कहा कि सरकारी विभागों में प्रवक्ताओं के होने के बावजूद सूचनाओं का भारी अभाव है।

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टोलो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, पत्रकार संघ ने सोमवार को तालिबान के अधिकारियों से पत्रकारों की समस्याओं के समाधान के लिए कदम उठाने का आह्वान किया। वहीं, तालिबान के सूचना और संस्कृति उप मंत्री जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि बुनियादी प्रशिक्षण पूरा करने के बाद प्रवक्ता बातचीत करना जारी कर देंगे। टोलो न्यूज ने मुजाहिद के हवाले से कहा है कि मीडिया के प्रति लापरवाही करने वाले कुछ लोगों को दंडित किया गया और न्यायिक प्रणाली के सामने पेश किया गया है।

वहीं, अफगान स्वतंत्र पत्रकार संगठन के उप प्रमुख होजातुल्लाह मुजादीदी ने कहा कि हमारे लिए सूचना का रुकना बड़ी समस्या है। हमने अंतरराष्ट्रीय संगठनों से अपील की है कि वे इस मुद्दे पर हमारा सहयोग करें। नेशनल एसोसिएशन आफ जर्नलिस्ट्स के अनुसार, तालिबान द्वारा देश पर नियंत्रण करने के बाद से वित्तीय समस्याओं के कारण अफगानिस्तान में कम से कम 70 प्रतिशत मीडिया आउटलेट ने काम करना बंद कर दिया है। खम्मा प्रेस ने बताया कि पत्रकारों के राष्ट्रीय संघ ने 3 अक्टूबर को काबुल में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्हें अफगानिस्तान के 28 प्रांतों में एक आनलाइन सर्वेक्षण करने के बाद आंकड़े मिले।

नेशनल एसोसिएशन आफ जर्नलिस्ट्स के प्रमुख मसरूर लुत्फी ने कहा, '40 फीसदी अफगान पत्रकार अफगानिस्तान में अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और उनमें से बाकी एक कठिन जीवन जी रहे हैं क्योंकि उन्होंने अपनी नौकरी खो दी है।' अफगानिस्तान में तालिबान के फिर से सत्ता में आने से कई लोगों के बीच यह चिंता पैदा हो गई कि देश में पत्रकारों को शांत करने के लिए निशाना बनाया जाएगा।

इससे पहले काबुल में महिलाओं के विरोध प्रदर्शन को कवर करने के बाद दो अफगान पत्रकारों को पुलिस हिरासत में पीटा गया था। समूह के काबुल पर कब्जा करने के बाद 17 अगस्त को तालिबान के पहले समाचार सम्मेलन में जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि मीडिया स्वतंत्र रहेगा, बशर्ते वे इस्लामी सिद्धांतों के अनुसार काम करें और निष्पक्ष सेवा करें।

ह्यूमन राइट्स वाच ने कहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान के अधिकारियों ने मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर व्यापक प्रतिबंध लगाए हैं। तालिबान सुरक्षा बलों ने भी मनमाने ढंग से पत्रकारों को हिरासत में लिया है और कई को पीटा है। एक पत्रकार समूह के प्रमुख ने ह्यूमन राइट्स वाच को बताया कि तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल में सत्ता संभालने के बाद से कम से कम 32 पत्रकारों को हिरासत में लिया है।


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