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597 तालिबान कैदियों की रिहाई पर अटकी शांति वार्ता, अफगान सरकार ने मांगी कैदियों की नई सूची

अफगान सरकार ने तालिबान से यह सूची तब मांगी है जब उग्रवादी समूह सूची के आधार पर कैदियों की रिहाई के लिए दबाव बना रहे हैं।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Mon, 13 Jul 2020 12:19 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jul 2020 01:06 PM (IST)
597 तालिबान कैदियों की रिहाई पर अटकी शांति वार्ता, अफगान सरकार ने मांगी कैदियों की नई सूची
597 तालिबान कैदियों की रिहाई पर अटकी शांति वार्ता, अफगान सरकार ने मांगी कैदियों की नई सूची

काबुल, एजेंसी। अफगानिस्‍तान सरकार ने तालिबान से उन कैदियों की नई सूची उपलब्‍ध कराने को कहा है, जिन्‍हें अब तक रिहा नहीं किया गया है। अफगान सरकार ने तालिबान से यह सूची तब मांगी है, जब उग्रवादी समूह सूची के आधार पर कैदियों की रिहाई के लिए दबाव बना रहे हैं। अमेरिका-तालिबान समझौते के मुताबिक अफगान सरकार ने अब तक 4,080 तालिबान कैदियों को रिहा किया है, लेकिन समूह के 597 कैदियों को मुक्‍त करने से इन्‍कार कर दिया है। इसके चलते बहुप्रतिक्षित इंट्रा-अफगान वार्ता में देरी हो रही है। बता दें कि तालिबान ने अब तक 1,000 कैदियों में से 700 कैदियों को रिहा कर दिया है। उन्होंने पिछले दो दिनों में घोर में 17 और हेरात में 12 कैदियों को रिहा किया है। सरकार ने अब तक 4,019 तालिबान कैदियों को रिहा किया है।

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100 कैदी ऐसे हैं, जो राजनीतिक कैदी नहीं|

इस प्रक्रिया से परिचित एक स्वतंत्र पत्रकार सामी यूसुफजई ने कहा कि तालिबान 5,000 कैदियों की सूची में बदलाव के लिए सरकार के बार-बार कहने के बावजूद, तालिबान बदलाव के लिए तैयार नहीं हैं। अफगान सरकार को लगता है कि तालिबान सूची में 100 कैदी ऐसे हैं, जो राजनीतिक कैदी नहीं हैं। वह तालिबान नहीं हैं, लेकिन वे अपराध के मामलों में शामिल हैं। उप पर तस्करी के आरोप हैं। सरकार चाहती हैं कि उनके नाम सूची से हटाए जाएं। सूत्रों ने यह भी कहा कि विचाराधीन 592 कैदियों में से कम से कम 90 ऐसे हैं जो तालिबान को रिहा करने के पक्ष में नहीं हैं।

तालिबान कैदियों की यह सूची नहीं बदलने पर अड़े 

उन्‍होंने कहा कि तालिबान के पूर्व कमांडर सईद अकबर आगा ने कहा है कि तालिबान कैदियों की यह सूची नहीं बदलेगी। तालिबान जोर दे रहा है कि जो सूची भेजी गई थी, उसे लागू किया जाए। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने भी बातचीत के रास्ते में बाधाओं पर सवाल उठाया है। उन्होंने सवाल किया कि अगर कोई युद्ध नहीं चाहता है, तो वे वार्ता के लिए बाधा क्यों पैदा कर रहे हैं ? उन्‍होंने कहा कि अफगानों को राजनीतिक समझ के माध्यम से परिणाम तक पहुंचने दें जो कि राष्ट्र और अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय की इच्छा है। 


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