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अफगान सरकार ने कहा, आसान नहीं दोहा वार्ता; सख्त फैसले लेने की पड़ेगी जरूरत

अब्दुल्ला अबदुल्ला ने बताया कि तालिबान के साथ बातचीत में नागरिक अधिकारों महिला अधिकारों अल्पसंख्यक अधिकारों और मानवाधिकारों के साथ ही न्याय और आजादी को संरक्षित रखा जाएगा।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 06:17 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 06:17 PM (IST)
अफगान सरकार ने कहा, आसान नहीं दोहा वार्ता; सख्त फैसले लेने की पड़ेगी जरूरत
अफगान सरकार ने कहा, आसान नहीं दोहा वार्ता; सख्त फैसले लेने की पड़ेगी जरूरत

काबुल, आइएएनएस। अफगानिस्तान की राष्ट्रीय सुलह परिषद के अध्यक्ष अब्दुल्ला अब्दुल्ला कहना है कि दोहा में सरकार और तालिबान के बीच वार्ता आसान नहीं होगी। अफगान टीम को ऐसे मसलों का सामना करना पड़ेगा, जिसमें सख्त फैसले लेने की जरूरत पड़ेगी।

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टोलो न्यूज ने अब्दुल्ला की ओर से गुरुवार को जारी किए गए एक बयान के हवाले से कहा, 'मैं यह नहीं कहता कि यह बातचीत बेहद आसान होगी। यह बेहद कठिन होगी। हमें ऐसे मुद्दों का सामना करना पड़ेगा, जिसके तहत कड़े फैसले लेने होंगे।'

उन्होंने बताया कि तालिबान के साथ बातचीत में नागरिक अधिकारों, महिला अधिकारों, अल्पसंख्यक अधिकारों और मानवाधिकारों के साथ ही न्याय और आजादी को संरक्षित रखा जाएगा। इन्हें कई कुर्बानियों के जरिये हासिल किया गया है।

इस बीच, कार्यवाहक विदेश मंत्री मुहम्मद हनीफ ने कहा कि सरकार वार्ता में संघर्ष विराम के फैसले पर पहुंचने का प्रयास करेगी। यह शांति पाने की दिशा में बुनियादी कदम है। इस समय शांति वार्ता की रूपरेखा को लेकर कतर की राजधानी दोहा में अफगान और तालिबान के वार्ताकारों के बीच बातचीत चल रही है। यह माना जा रहा है कि जल्द ही दोनों पक्षों में वार्ता के मुख्य बिंदुओं को लेकर सहमति बन जाएगी।

तालिबान ने कई मुद्दों पर जताया ऐतराज

वहीं, इसके पहले तालिबान ने इस वार्ता को लेकर कहा था कि 20 सालों से चल रहा संघर्ष एक घंटे की चर्चा से खत्म नहीं हो सकता है। तालिबान (Taliban) सीजफायर के लिए सहमत नहीं होगा। तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद नईम (Mohommed Naeem) ने कहा था कि जब तक जंग के मुख्य कारणों पर चर्चा नहीं की जाएगी सीजफायर के लिए तालिबान राजी नहीं है।

तालिबान के प्रवक्ता ने दावा किया कि वार्ता के पहले चरण की शुरुआत के साथ आतंकियों ने हिंसा में कमी कर दी थी लेकिन सरकार ने अपनी आक्रामक कार्रवाईयों पर रोक नहीं लगाई।

प्रवक्ता मोहम्मद नईम ने कहा कि 20 सालों से चला आ रहा संघर्ष एक घंटे में खत्म होने का कोई मतलब नहीं बनता। हमारे विचार से इस युद्ध की समस्या के मुख्य मुद्दे पर चर्चा की जानी चाहिए और इसके बाद सीजफायर पर ताकि स्थायी तौर पर इसका समाधान हो सके।


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