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Afghanistan peace talks: अफगान सेना और तालिबान संघर्ष के बीच दोहा वार्ता के सकारात्‍मक होने के दिए संकेत

नादेरी ने रविवार को ट्विटर पर कहा कि इस बैठक में दोनों पक्षों के बीच आचार संहिता आगामी बैठकों के कार्यक्रम और प्रासंगिक मुद्दों पर चर्चा की गई और इसके प्रगति पर चर्चा की गई।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2020 08:56 AM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2020 08:56 AM (IST)
Afghanistan peace talks: अफगान सेना और तालिबान संघर्ष के बीच दोहा वार्ता के सकारात्‍मक होने के दिए संकेत
Afghanistan peace talks: अफगान सेना और तालिबान संघर्ष के बीच दोहा वार्ता के सकारात्‍मक होने के दिए संकेत

काबूल, एजेंसी। अफगानिस्‍तान में सेना और तालिबान संघर्ष के बीच दोहा की राजधानी कतर में हुई शांति वार्ता को सकारात्‍मक कहा गया है। अफगानिस्‍तान सरकार का प्रतिनिधित्‍व कर रहे अहमद नादेरी ने कहा कि तालिबान के साथ शांति वार्ता सकारात्‍मक रही। उन्‍होंने कहा कि शांति वार्ता में प्रगति हो रही है। नादेरी ने रविवार को ट्विटर पर कहा कि दोहा में दो समूहों के बीच पहली बैठक आज हुई। इस बैठक में दोनों पक्षों के बीच आचार संहिता, आगामी बैठकों के कार्यक्रम और प्रासंगिक मुद्दों पर चर्चा की गई और इसके प्रगति पर चर्चा की गई।   

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खलीलजाद ने भी जाहिर की उम्‍मीद, शांति वार्ता एक नए दौर में प्रवेश कर गई

इस बीच अफगानिस्‍तान के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जल्‍माय खलीलजाद ने उम्‍मीद जाहिर की थी कि शनिवार को दोहा में शुरू हो रही अफगान-तालिबान वार्ता एक नए दौर में प्रवेश कर गई है। उन्‍होंने कहा था कि इससे अफगान-तालिबान के बीच शांति प्रक्रिया को एक नया मार्ग प्रशस्‍त होगा। विशेष प्रतिनिधि ने कहा इसी के साथ अफगानिस्‍तान में दो दशकों से चला आ रहा उग्रवाद समाप्‍त होगा और विदेशी सैनिकों की वापसी संभव होगी। अगर ऐसा होता है तो इस चुनाव में राष्‍ट्रपति ट्रंप के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि होगी। शांति वार्ता की सफलता से करीब 19 साल बाद अमेरिका और नाटो सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी का रास्ता साफ होगा। बता दें कि दोहा में हो रही रही वार्ता में अफगान सरकार द्वारा नियुक्त वार्ताकार और तालिबान का 21 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भाग ले रहे हैं। इस बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ भी शिरकत कर रहे हैं।

समझौते के बाद से अब तक 12 हजार नागरिक मारे गए 

दोहा वार्ता में अफगानिस्तान के लिए शांति वार्ता का नेतृत्व कर रहे अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने तत्काल प्रभाव से सीजफायर पर जोर दिया था। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि शांति कायम करने का अनोखा मौका है। हमें हिंसा को रोकना होगा और जितनी जल्द हो सके सीजफायर पर सहमति देनी होगी। उन्‍होंने अफगान और तालिबान में जारी जंग में मौतों का जिक्र करते हुए कहा कि फरवरी में अमेरिका और तालिबान के बीच शांति वार्ता समझौते पर हस्ताक्षर के बाद से अब तक 12 हजार नागरिक मारे जा चुके हैं।   


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