अफगान सरकार और तालिबान के बीच पहली बार हुआ लिखित समझौता, अमेरिका ने किया स्वागत
अमेरिका ने भी अफगान सरकार (Afghan Governmen) और तालिबान (Taliban) से वार्ताकारों के बीच शांति वार्ता का स्वागत किया है। माइक पोंपियो ने इसे मील का पत्थर बताया। इस समझोते में संघर्ष विराम पर बातचीत भी शामिल है।
काबुल, रायटर। शांति वार्ता पर आगे बढ़ने के लिए अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच बुधवार को एक प्रारंभिक समझौता हो गया। 19 साल तक चले युद्ध में दोनों के बीच यह पहला लिखित समझौता है। अमेरिका ने हिंसा रोकने का मौका बताते हुए इस समझौते का स्वागत किया है।
समझौते में वार्ता पर आगे बढ़ने का मार्ग बताया गया है, लेकिन इसे बड़ी सफलता माना जा रहा है क्योंकि इससे वार्ताकारों को ज्यादा मौलिक मसलों पर आगे बढ़ने में सहूलियत मिलेगी जिनमें संघर्ष विराम पर बातचीत शामिल है।
अफगान सरकार की वार्ताकार टीम एक सदस्य नादेर नादेरी ने बताया, 'वार्ता की प्रस्तावना समेत इसकी प्रक्रिया को अंतिम रूप दे दिया गया है और अब से वार्ता एजेंडे पर शुरू होगी।' तालिबान के प्रवक्ता ने भी ट्विटर पर समझौते की पुष्टि की। दोनों पक्षों की ओर से जारी संयुक्त बयान के मुताबिक, 'एजेंडे (वार्ता के लिए) के लिए शीर्षकों का मसौदा तैयार करने का काम संयुक्त कार्यसमिति को सौंपा गया था।'
यह समझौता कतर की राजधानी दोहा में हुई वार्ताओं के महीनों बाद मुमकिन हो पाया है। हिंसा जारी रहने के बावजूद अमेरिका ने इन वार्ताओं को लगातार प्रोत्साहन दिया। अफगानिस्तान सरकार और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी तत्काल संघर्ष विराम की मांग करते रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद शुरुआती चरण की वार्ताओं में तालिबान लगातार इससे इन्कार करता रहा।
अफगानी राष्ट्रपति अशरफ गनी के प्रवक्ता सेदिक सेदिकी ने राष्ट्रपति के हवाले से ट्विटर पर बताया, 'यह (समझौता) मुख्य मसलों पर बातचीत शुरू करने की दिशा में एक कदम है जिनमें व्यापक संघर्ष विराम की अफगान लोगों की प्रमुख मांग शामिल है।' अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने साझा आधार तलाशने की दृढ़ता और इच्छा के लिए दोनों पक्षों को बधाई दी और कहा कि हिंसा में कमी लाने के लिए अमेरिका सभी पक्षों के साथ मिलकर कड़ी मेहनत करेगा।
--------------------------