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अफीम की खेती जारी रखेंगे अफगानिस्तान के किसान, आर्थिक संकट में बना रोजगार का एकमात्र साधन

अफगानिस्तान के किसानों ने कहा कि वह अफीम की खेती करना जारी रखेंगे। किसानों ने कहा कि परिवारों का भरण-पोषण के लिए अफीम की खेती करना जरूरी है। अफगानिस्तान में गेहूं के मुकाबले अफीम उगाना ज्यादा आसान और फायदेमंद है।

By Geetika SharmaEdited By: Published: Mon, 13 Dec 2021 05:04 PM (IST)Updated: Mon, 13 Dec 2021 05:07 PM (IST)
अफीम की खेती जारी रखेंगे अफगानिस्तान के किसान, आर्थिक संकट में बना रोजगार का एकमात्र साधन
अफीम की खेती जारी रखेंगे अफगानिस्तान के किसान

काबुल, एएनआइ। अफगानिस्तान के किसानों ने कहा कि वह अफीम की खेती करना जारी रखेंगे। किसानों का कहना है कि तालिबान ने अफीम की खेती न करने को लेकर कोई स्पष्ट आदेश जारी नहीं किए हैं। किसानों ने कहा कि परिवारों का भरण-पोषण के लिए अफीम की खेती करना जरूरी है। उन्होंने बताया कि अफीम की खेती काफी आसान है और इसमें कम पानी की जरूरत होती है। इसलिए अफीम की खेती करना काफी लाभदायक भी है।

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रोजगार का एकमात्र साधन अफीम की खेती

वाइस आफ अमेरिका की रिपोर्ट के अनुसार एक 52 वर्षीय किसान पश्चिमी फराह प्रांत के निवासी नूर ने कहा कि अफीम की खेती के अलावा उनके पास रोजगार का कोई साधन नहीं है। उन्हें नहीं पता कि फसल की कटाई तक वह अपने परिवार को खाना कैसे उपलब्ध करवाएंगे। उनके पास एक महीने का खाना भी उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि महंगाई इतनी बढ़ गई है और लोग इतना महंगा खाना नहीं खरीद सकते। नूर 10 बच्चों के पिता हैं और अपनी पहचान सामने नहीं लाना चाहते हैं।

सूखे का सामना कर रहे किसान

नूर ने बताया कि अफगानिस्तान में गेहूं के मुकाबले अफीम उगाना ज्यादा आसान और फायदेमंद है। नूर ने बताया कि किसान सूखे का सामना कर रहे हैं। इसके चलते अफीम को कम पानी की जरूरत होती है और यह 6 महीने में तैयार हो जाती है। अगस्त में अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद अफीम की कीमतों में काफी उछाल देखा गया था।

संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन ने दी चेतावनी

वाइस आफ अमेरिका की रिपोर्ट ने आगे बताया कि अफगानिस्तान में खाद्य असुरक्षा को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन ने अक्टूबर में एक रिपोर्ट जारी की थी। इसके माध्यम से तालिबान को चेतावनी दी गई कि मार्च 2022 में अफगानिस्तान में खाद्य असुरक्षा का सामना करने वाले लोगों की संख्या बढ़कर दो करोड़ 28 लाख हो जाएगी। जबकि सितंबर से अक्टूबर 2021 तक में यह संख्या 18.8 मिलियन थी। वाइस आफ अमेरिका को एक अन्य किसान ने बताया कि गेहूं या मकई के मुकाबले अफीम की उपज पांच से छह गुना अधिक होती है। उन्होंने बताया कि पिछले 20 सालों से किसानों ने जिन क्षेत्रों में अफीम की खेती नहीं की थी। इस साल किसानों ने वहां भी खेती की है।

आर्थिक संकट का सामना कर रहा अफगानिस्तान

बता दें कि अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने बताया था कि तालिबान अफीम की खेती पर रोक लगाएगा। लेकिन पिछले महीने मुजाहिद ने एक बयान देते हुए कहा कि अफगानिस्तान एक आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और ऐसे में लोगों की आय का एकमात्र साधन अफीम की खेती को रोकना एक अच्छा विचार नहीं है।


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