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खोने लगी है न्याय की आस, सैन्य कार्रवाई के दौरान सूडानी महिलाओं के साथ हुआ था दुष्कर्म

सूडान में सैन्य शासन को लेकर हो रहे विरोध पर सैन्य कार्रवाई के दौरान जिन महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ था अब वे न्याय की उम्मीद खो रही हैं।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2020 05:52 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 05:52 PM (IST)
खोने लगी है न्याय की आस, सैन्य कार्रवाई के दौरान सूडानी महिलाओं के साथ हुआ था दुष्कर्म
खोने लगी है न्याय की आस, सैन्य कार्रवाई के दौरान सूडानी महिलाओं के साथ हुआ था दुष्कर्म

खार्तूम, एपी। सूडान की राजधानी खार्तूम में दर्जनों महिला कार्यकर्ताओं को न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है। एक साल से विरोध प्रदर्शन पर बैठी इन महिलाओं का कहना है कि इनके साथ सुरक्षाबलों ने दुष्कर्म किया था। चाय की दुकान पर बैठने वाली मयादा भी इन्हीं महिलाओं में से एक है। 3 जून 2013 को सूडान के सुरक्षा बलों ने सूडान की राजधानी खार्तूम के सड़कों पर जिन दर्जनों महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया था मयादा उनमें से एक है।

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सैन्य शासन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर सैन्य कार्रवाई में 50 से अधिक लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी और इस दौरान कई महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ था। लंबे वक्त से सूडान में लोकतंत्र की मांग को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं और सैन्य सरकार का विरोध हो रहा है। 

मार्च में उसने एक लड़की और एक लड़के को जन्म  दिया। मयादा का कहना है कि ये बच्चे उसी दुष्कर्म का नतीजा हैं लेकिन उसे इनसे प्यार और लगाव है। बेटी को उसने फॉस्टर होम में यह कहकर रखा कि वह काफी बीमार रहती है और गरीब भी है इसलिए वह बच्ची का उचित देखभाल नहीं कर सकेगी। फोस्टर होम में अपनी तीन माह की बच्ची से मिलने के लिए मयादा (Mayada) सप्ताह में एक या दो बार जाती है। मजबूरी में अपने बच्चे को उसने फोस्टर होम में रखा है क्योंकि उसकी देखभाल के लिए मयादा के पास पैसे नहीं हैं। वह काफी गरीब है।  

सूडान की एक अदालत ने पिछले साल दिसंबर में मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्‍टाचार के मामले में देश के पूर्व राष्‍ट्रपति उमर अल-बशीर (Omar al-Bashir) को दोषी करार दिया था और दो साल के कैद की सजा सुनाई थी। 

पिछले साल अप्रैल में सूडान में चल रहे सरकार विरोधी प्रदर्शन के बीच राष्ट्रपति उमर अल-बशीर को सेना ने पद से हटाकर हिरासत में ले लिया था। रक्षा मंत्री अवद इब्ने औफ ने बशीर की जगह अंतरिम सैन्य परिषद के दो साल के लिए शासन करने की बात कही थी। इसके बाद सूडान में तीन महीने के लिए आपातकाल घोषित कर दिया गया था। 


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