बांग्लादेश स्थित भारतीय उच्चायोग में प्रणब मुखर्जी की स्मृति में डिजिटल शोक पुस्तक का लॉन्च
भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की स्मृति में यहां भारतीय उच्चायोग में एक डिजिटल शोक पुस्तक लॉन्च की गई।
ढाका, एएनआइ। भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) की स्मृति में यहां भारतीय उच्चायोग में एक डिजिटल शोक पुस्तक लॉन्च की गई। बांग्लादेश में भारतीय उच्चायोग ने यह जानकारी दी। उच्चायोग ने बताया कि बांग्लादेश के विदेश मंत्री डॉ. एके अब्दुल मोमन (Dr AK Abdul Momen) ने प्रणब मुखर्जी को श्रद्धांजलि भी अर्पित की।
बांग्लादेश ने प्रणब मुखर्जी के सम्मान में बुधवार को राजकीय शोक मनाया और 1971 के मुक्ति संग्राम एवं द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने में उनके योगदान को याद किया। यही नहीं बांग्लादेश की सरकार ने विभिन्न धर्मों के पूजा स्थलों से मुखर्जी के लिए विशेष प्रार्थना की अपील की। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पीएम मोदी को एक पत्र भेजकर कहा कि भारत के एक प्रसिद्ध विद्वान और दक्षिण एशिया के प्रतिष्ठित नेता मुखर्जी सभी के बीच सम्मानित थे। श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने भी मुखर्जी को श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें श्रीलंका का प्रिय मित्र बताया।
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने भी पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने मुखर्जी को एक महान नेता बताते हुए कहा कि उनके दूरदर्शी नेतृत्व से भारत को वैश्विक ताकत के रूप में उभरने में मदद मिली। यही नहीं मुखर्जी के दूरदर्शी नेतृत्व के चलते ही अमेरिका और भारत के बीच मजबूत साझेदारी का रास्ता खुला।
उल्लेखनीय है कि मुखर्जी का सोमवार को निधन हो गया। वह 84 साल के थे। ट्रंप ने ट्वीट कर कहा है कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन से दुख हुआ। मैं उस महान नेता के निधन के चलते शोकसंतप्त उनके परिजनों के प्रति मैं अपनी संवेदना भेजता हूं। इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा था कि मुखर्जी के निधन से अमेरिका को गहरा दुख हुआ है।
पोंपियो ने जारी बयान में कहा कि प्रणब मुखर्जी के दूरदर्शी नेतृत्व ने वैश्विक ताकत के रूप में भारत के उदय में मदद की और मजबूत अमेरिका-भारत साझेदारी का मार्ग प्रशस्त हुआ है। मुखर्जी की कई उपलब्धियों के कारण भारत अधिक समृद्ध बना है। विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री के तौर पर उन्होंने भारत और अमेरिका असैन्य परमाणु करार और रणनीतिक साझेदारी की नींव में अहम भूमिका निभाई...