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भारत की आठ वर्षीय लिसिप्रिया ने दुनिया को झकझोरा, स्पेन के अखबारों ने की जमकर तारीफ

लिसिप्रिया कंगुजम अब तक 21 देशों का दौरा कर चुकी हैं और जलवायु परिवर्तन मसले पर विविध सम्मेलनों में अपनी बात रख चुकी हैं।

By Manish PandeyEdited By: Published: Thu, 12 Dec 2019 05:54 PM (IST)Updated: Thu, 12 Dec 2019 09:45 PM (IST)
भारत की आठ वर्षीय लिसिप्रिया ने दुनिया को झकझोरा, स्पेन के अखबारों ने की जमकर तारीफ
भारत की आठ वर्षीय लिसिप्रिया ने दुनिया को झकझोरा, स्पेन के अखबारों ने की जमकर तारीफ

मैड्रिड, पीटीआइ। महज आठ साल की उम्र में जलवायु परिवर्तन के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली भारतीय लड़की लिसिप्रिया कंगुजम ने अपनी चिंताओं से दुनिया को झकझोरा है। मणिपुर की इस नन्ही पर्यावरण कार्यकर्ता ने स्पेन की राजधानी मैड्रिड में सीओपी25 जलवायु शिखर सम्मेलन में वैश्विक नेताओं से अपनी धरती और उन जैसे मासूमों के भविष्य को बचाने के लिए तुरंत कदम उठाने की गुहार लगाई।

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लिसिप्रिया ने मंगलवार को अपने भाषण में कहा, 'मैं यहां वैश्विक नेताओं से कहने आई हूं कि यह कदम उठाने का वक्त है क्योंकि यह वास्तविक क्लाइमेट इमरजेंसी है।' इतनी छोटी उम्र में इतने अहम मसले पर बात रखने के कारण लिसिप्रिया स्पेन के अखबारों की सुर्खियां बनी हैं। स्पेनिश अखबारों ने उन्हें भारतीय 'ग्रेटा' बताते हुए उनकी जमकर तारीफ की है। स्वीडन की 16 साल की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने गत सितंबर में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक नेताओं को झकझोरा था। लिसिप्रिया के पिता केके सिंह ने कहा, 'मेरी बेटी की बातों को सुनकर कोई यह अनुमान नहीं कर पाया कि वह महज आठ साल की है।'

21 देशों का कर चुकी हैं दौरा

लिसिप्रिया अब तक 21 देशों का दौरा कर चुकी हैं और जलवायु परिवर्तन मसले पर विविध सम्मेलनों में अपनी बात रख चुकी हैं। वह दुनिया में सबसे कम उम्र की पर्यावरण कार्यकर्ता बताई जा रही हैं।

इस सम्मेलन से बदली जिंदगी

महज छह साल की उम्र में लिसिप्रिया को 2018 में मंगोलिया में आपदा मसले पर हुए मंत्री स्तरीय शिखर सम्मेलन में बोलने का अवसर मिला था। उन्होंने कहा, 'इस सम्मेलन से मेरी जिंदगी बदल गई। मैं आपदाओं के चलते जब बच्चों को अपने माता-पिता से बिछड़ते देखती हूं तो रो पड़ती हूं।'

पिता की मदद से बनाया संगठन

मंगोलिया से लौटने के बाद लिसिप्रिया ने पिता की मदद से 'द चाइल्ड मूवमेंट' नामक संगठन बनाया। वह इस संगठन के जरिये वैश्विक नेताओं से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कदम उठाने की अपील करती हैं।

पीएम मोदी से भी लगाई थी गुहार

लिसिप्रिया गत जून में संसद भवन के पास तख्ती लेकर पहुंची थीं। इसके जरिये उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया था कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कानून बनाएं।

छोड़ना पड़ा स्कूल

लिसिप्रिया का जन्म इंफाल में हुआ, लेकिन वह आमतौर पर पूरे समय शहर से बाहर रहती हैं। वह ज्यादातर दिल्ली और भुवनेश्वर में रहती हैं। जलवायु परिवर्तन मसले पर अपने जुनून के चलते वह स्कूल नहीं जा पाती थीं। इस कारण उन्होंने गत फरवरी में स्कूल छोड़ दिया।

स्पेन की सरकार ने उठाया खर्च

लिसिप्रिया के पिता के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र ने शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए बेटी को आमंत्रित किया था। लेकिन तब हमें लगा था कि स्पेन जाने के खर्च का कैसे प्रबंध होगा? इसके लिए ईमेल के जरिये कई मंत्रियों से मदद की गुहार लगाई गई। लेकिन कोई जवाब नहीं आया। बाद में भुवनेश्वर के एक व्यक्ति ने मैड्रिड के लिए टिकट बुक कर दिया। लेकिन गत 30 नवंबर को मैड्रिड रवाना होने से एक दिन पहले एक ईमेल मिला, जिसमें लिखा था कि उनकी 13 दिन की यात्रा का खर्च स्पेन सरकार वहन करेगी।


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