200 गुना तेज सुपरफास्ट क्वांटम कंप्यूटर तैयार, खोलेगा ब्रह्मांड और बाहरी दुनिया के रहस्य
200 गुना तेजी से समस्याएं हल करने में सक्षम है यह सुपरफास्ट क्वांटम कंप्यूटर। ब्रह्मांड के रहस्य सुलझाने और बाहरी दुनिया का पता लगाने में महत्वपूर्ण साबित होगा।
मेलबर्न, प्रेट्र। क्वांटम कंप्यूटिंग में एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों की एक टीम ने क्वांटम कंप्यूटर का एक सुपरफास्ट वर्जन तैयार किया है। यह कंप्यूटर सामान्य कंप्यूटर के मुकाबले 200 गुना तेजी से जटिल समस्याओं को हल करने की क्षमता रखता है। क्वांटम कंप्यूटर का उपयोग ऐसी गणना करने के लिए किया जाता है, जिसे सैद्धांतिक या भौतिक रूप से लागू किया जा सके। मौजूदा कंप्यूटरों के विपरीत क्वांटम कंप्यूटर अधिक जटिल गणनाओं को हल कर सकते हैं।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि क्वांटम तकनीक का आगमन रसायन विज्ञान, खगोल, भौतिकी, चिकित्सा, सुरक्षा और संचार सहित लगभग हर वैज्ञानिक क्षेत्र में क्रांतिकारी सफलताएं लाएगा। अधिक उन्नत क्वांटम कंप्यूटर वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड के रहस्यों को खोलने में मदद कर सकते हैं। जैसे कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति कैसे हुई? पृथ्वी के बाहर जीवन है कि नहीं?
नेचर जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर मिशेल सीमंस और यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथवेल्स की उनकी टीम ने सिलिकॉन में एटम क्यूबिट के बीच में पहला टू-क्यूबिट गेट तैयार किया है। यह एक ऐसी तकनीक है जो किसी काम को 200 गुना तेजी से करने में सक्षम है। अभी कंप्यूटर द्वारा किसी काम को करने की स्पीड 0.8 नैनो सेकेंड की है।
ऐसे काम करती है ये तकनीक
एक क्यूबिट ही क्वांटम बिट होता है। इसे इस तरह समझिए कि अगर कंप्यूटर एक इमारत है, तो क्वांटम बिट उसकी एक ईंट। एक क्वांटम बिट सूचना की सबसे छोटी इकाई है, जो बाइनरी नंबर 0 या 1 में से कोई एक ही हो सकता है। कंप्यूटर की सारी सूचनाएं और गणनाएं इन्हीं से होती हैं। वहीं, बिट के विपरीत क्यूबिट 0 या 1 में से एक या दोनों हो सकते हैं। चूंकि, 0 और 1 के संयोजनों की संख्या क्यूबिट में अधिक होती है इसलिए यह बिट की तुलना में बहुत तेजी से समस्याओं को हल कर सकते हैं। क्यूबिट के जरिए नई अवस्था बनाई जा सकती है जो कि वर्तमान के कंप्यूटरों में मुमकिन नहीं है।
इस तरह बनाई डिवाइस
यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड के भौतिक विज्ञानी एंड्रयू व्हाइट ने बताया कि क्वांटम कंप्यूटर बनाने के लिए एक टू-क्यूबिट गेट बनाया गया। यह किसी भी क्वांटम कंप्यूटर का सेंट्रल बिल्डिंग ब्लॉक होता है। इस डिवाइस को बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने सिलिकॉन मैटिक्स के अंदर फॉस्फोरस के दो अणुओं को एक दूसरे के पास स्थापित किया, जिससे इस गेट का निर्माण हुआ।
कई देश कर रहे बड़ी फंडिंग
क्वांटम कंप्यूटर की क्षमता को देखते हुए सुरक्षा की दृष्टि से इसे महत्वूपर्ण माना जा रहा है। यही वजह है कि इसकी संभावनाएं पहचान चुके देश इस पर खर्च बढ़ा रहे हैं। चीन हेफेई में 10 अरब डॉलर (73 हजार करोड़ रुपये) के खर्च से क्वांटम रिसर्च के लिए प्रयोगशाला भी तैयार कर रहा है। 2020 तक प्रयोगशाला शुरू होने की उम्मीद है।
जारी हैं अनुसंधान
चीन की ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा अलग से इस पर काम कर रही है। 2016 में यूरोपीय यूनियन ने इस क्षेत्र में 1.2 अरब डॉलर (करीब 8,800 करोड़ रुपये) का निवेश किया था। गूगल, आइबीएम, इंटेल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज अमेरिकी कंपनियां भी इस दिशा में शोध बढ़ा रही हैं। भारत सरकार ने भी इस दिशा में शोध को बढ़ावा देने के लिए क्वांटम इंफॉर्मेशन साइंस एंड टेक्नोलॉजी का गठन किया है।
कुशल लोगों की कमी
क्वांटम कंप्यूटिंग का क्षेत्र जितना अहम है उसकी तुलना में इस क्षेत्र में कुशल लोगों की संख्या बहुत कम है। एक अनुमान के मुताबिक, दुनियाभर में 1,000 से भी कम लोग ऐसे हैं जो क्वांटम कंप्यूटिंग में शोध कर रहे हैं। बहुत-सी कंपनियां अपने लिए योग्य लोगों की तलाश नहीं कर पा रहीं हैं। वर्तमान में कंप्यूटर किसी काम को 0.8 नौनोसेकेंड में करते हैं।