म्यांमार के सैन्य शासन ने कसा राजनीतिक पार्टियों पर शिकंजा, विदेशी संगठनों और लोगों से रहना होगा दूर
म्यांमार के सैन्य शासन ने एक आदेश में कहा है कि देश की राजनीतिक पार्टियां बिना मंजूरी के न तो किसी विदेशी से मिल सकती हैं न ही किसी विदेशी संगठन से बैठक कर सकती हैं। यदि किसी ने ऐसा किया तो उसका रजिस्ट्रेशन रद कर दिया जाएगा।
यंगून (एजेंसी)। म्यांमार के सैन्य शासन जुंता ने राजनीतिक पार्टियों पर शिकंजा और कड़ा कर दिया है। इस कड़ी में जुंता ने सभी राजनीतिक पार्टियों और नेताओं से विदेशी लोगों से मुलाकात करने और विदेशी संगठनों के साथ किसी भी तरह की बैठक करने के प्रति आगाह किया है। जुंता का कहना है कि देश में जल्द ही आम चुनाव करवाए जा सकते हैं ऐसे में कोई भी नेता इस आदेश की अवहेलना न करे। दक्षिण-पूर्वी एशिया के इस देश में सेना ने पिछले वर्ष फरवरी में यहां की लोकतांत्रिक सरकार का तख्ता पलट कर सत्ता अपने हाथों में ले ली थी। बता दें कि तख्ता पलट के बाद से ही देश की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। यहां की सैन्य सरकार पर भी कई तरह के प्रतिंबध लगाए जा चुके हैं।
सैन्य शासन का कहना है कि देश की स्टेट काउंसलर आंग सांग सू की ने नवंबर 2020 के आम चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली की थी। जुंता का आरोप है कि धांधली करने से उनकी पार्टी नेशनल लीग फार डेमोक्रेसी सत्ता में आई थी। हालांकि इंटरनेशनल आब्जरवर का मानना है कि म्यांमार में 2020 के चुनाव पूरी इमानदारी के साथ करवाए गए थे।
देश के चुनाव आयोग ने अपने बयान में कहा है कि देश में करीब 92 रजिस्टर्ड राजनीतिक पार्टियां हैं। इन सभी पार्टियों को आने वाले दिनों में यदि किसी भी विदेशी से या विदेशी संगठन से मुलाकात करनी होगी तो पहले इसकी इजाजत लेनी होगी। जुंता ने ये भी साफ कर दिया है कि राजनीतिक पार्टियों को देश के कानून को हर हाल मानना होगा और इसका सम्मान करना होगा। यदि किसी भी राजनीतिक पार्टी ने इसकी अवहेलना की तो उसका रजिस्ट्रेशन खत्म कर दिया जाएगा। आपको बता दें कि जुंता ने 2020 में हुई सू की की जीत के लिए म्यांमार में मौजूद दूसरे देशों की एंबेसीज और दूसरी अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संस्थाओं को भी आरोपी बनाया है। जुंता का कहना है कि सू की एकतरफा जीत में इन्होंने भी अहम भूमिका निभाई है।
जुंता के इस फैसले पर एनएलडी के पूर्व सांसद सू थोरा टुन क कहना है कि ये फैसला पूरी तरह से गलत है। उनके मुताबिक आयोग का ये आदेश लोगों की आजादी का उल्लंघन है। जुंता और आयोग इस तरह की रोक नहीं लगा सकता है। न ही इसके लिए उनके पास कोई कारण है। पीपुल्स पार्टी ने भी इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है। पार्टी का कहना है कि इस फैसले से जुंता देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को ही खत्म कर देना चाहता है। इससे देश और यहां के लोगों का बड़ा नुकसान होगा। बता दें कि पिछले सप्ताह ही अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने जुंता द्वारा उठाए गए कदमों की निंदा की थी। उन्होंने आसियान में कहा था कि जुंता की मौजूदगी में कोई भी खुश नहीं है।