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जानें, आखिर क्‍या है ईरान की सैन्‍य क्षमता, अमेरिका से युद्ध हुआ तो कहां टिकता है तेहरान...

आखिर ईरान की सैन्‍य क्षमता क्‍या है ? क्‍या वह अमेरिका के साथ युद्ध करने की स्थिति में है। हम यह भी बताएंगे कि ईरान के पास मिसाइल है या नहीं। अगर है तो क्‍या उसकी क्षमता क्‍या है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Wed, 08 Jan 2020 12:18 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jan 2020 08:23 AM (IST)
जानें, आखिर क्‍या है  ईरान की सैन्‍य क्षमता, अमेरिका से युद्ध हुआ तो कहां टिकता है तेहरान...
जानें, आखिर क्‍या है ईरान की सैन्‍य क्षमता, अमेरिका से युद्ध हुआ तो कहां टिकता है तेहरान...

नई दिल्‍ली, जागरण स्‍पेशल । ईरान और अमेरिका के बढ़ते तनाव के बीच युद्ध जैसे हालात उत्‍पन्‍न हो गए है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर क्‍या ईरान के पास एेसी सैन्‍य क्षमता है कि वह अमेरिका जैसे ताकतवार देश को टक्‍कर दे सके। आखिर ईरान की सैन्‍य क्षमता क्‍या है ? क्‍या वह अमेरिका के साथ युद्ध करने की स्थिति में है। हम यह भी बताएंगे कि ईरान के पास मिसाइल है या नहीं। अगर है तो क्‍या उसकी क्षमता अमेरिका तक है। इसके अलावा ईरान की सेना की और क्‍या खूबियां हैं। इसके अलावा ईरान में इस्‍लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कैसे बन गया एक शक्तिसाली संगठन। आदि-आदि। 

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क्या ईरान मिसाइल संपन्‍न देश है

मध्‍य एशिया में ईरान एक मिसाइल संपन्‍न देश है। अमेरिकी रक्षा विभाग का मानना है कि ईरान की मिसाइल शक्ति मध्‍य पूर्व के देशों में सबसे ज्‍यादा है। ईरान के पास छोटी और मध्‍यम दूरी वाली मिसाइलें हैं। हालां‍कि उनकी मारक क्षमता अमेरिका तक नहीं है। अगर ईरान वायु सेना की बात करें तो यह कहीं न कहीं सऊदी अरब और इजरायल की तुलना में कमजोर है। इस कमजोरी की भरपाई ईरान की मिसाइलें करती हैं। अमेरिकी रक्षा‍ विभाग का कहना है कि ईरान स्‍पेस टेक्‍नॉलजी का परीक्षण कर रहा है, जिससे इसे उसकी सैन्‍य ताकत में इजाफा होगा।

2015 की परमाणु संधि के तहत ईरान ने अपनी लंबी दूरी की मिसाइल परीक्षण कार्यक्रम को बंद कर दिया था। लेकिन इतना तय है कि ईरान के पास छोटी और मध्‍यम दूरी वाली मिसाइलें हैं, जो सऊदी अरब और खाड़ी में कई ठिकानों को निशाना बना सकती है। इसकी जद में इजरायल के प्रमुख ठिकाने भी हैं। गत साल अमेरिका ने ईरान के साथ तनाव बढ़ने पर मध्‍य पूर्व में एक एंटी मिसाइल रक्षा व्‍यवस्‍था का इंतजाम दिया था। इसका मकसद बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों एवं उच्‍च तकनीक वाले एयरक्राफ्टस का सामना करना था।

ड्रोन विकसित करने में कामयाब रहा ईरान

पाबंदी के बावजूद ईरान ड्रोन विकसित करने में कामयाब रहा है। ईरान ने कई मौके पर ड्रोन का इस्‍तेमाल किया है। वर्ष 2016 में इराक में इस्‍लामिक स्‍टेट के खिलाफ जंग में ड्रोन का इस्‍तेमाल करता आया है। इतना ही नहीं 2019 में ईरान ने एक अमेरिकी ड्रोन को मार गिराया था। उस वक्‍त ईरान का दावा था कि अमेरिकी ड्रोन ने होर्मूज की खाड़ी में ईरान वायुक्षेत्र का उल्‍लंघन किया था। इस वर्ष ईरान ने सऊदी के तेल संयंत्रों पर ड्रोन से हमले किए थे।

ईरान की साइबर क्षमता से चौंकन्‍ना हुआ था अमेरिका 

2010 में ईरान के परमाणु संयंत्रों पर साइबर हमले के बाद वह चौंकन्‍ना हो गया। इसके बाद ईरान ने साइबर क्षमता में बड़े सुधार किए हैं। ऐसा माना जाता है कि रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के पास साइबर कमांड है। यह सैन्‍य जासूसी मामले में काम करता है। अमेरिकी सेना की एक रिपोर्ट के मुताबिक ईरान ने साइबर जासूसी के लिए एयरस्‍पेश, प्राकृतिक संसाधन, टेलिकम्‍युनिकेशन कंपनियों और सुरक्षा को लक्षित किया है। ईरानी सरकार से ताल्लुक रखने वाले एक हैकर समूह ने अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान अमरीकी अधिकारियों के अकाउंट में सेंध लगाने की कोशिश की थी।   

ईरान की सेना का लेखाजोखा

  • ईरान की सेना के साढ़े तीन लाख और इस्‍लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के डेढ़ लाख सैन्‍यकर्मी शामिल हैं। ईरान की सेना में रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के 20 हजार सैनिक नौसेना में शामिल हैं। 
  • ईरान की सेना के पास मिसाइलें भी शामिल है। अमेरिकी रक्षा विभाग का कहना है कि मध्‍य पूर्व एशिया में ईरान की मिसाइल शक्ति सबसे अधिक है। 
  • अमेरिकी प्रतिबंध के बावजूद ईरान ने अपनी सेना के लिए ड्रोन विकसित करने में कामयाब रहा है। 2019 में ईरान ने एक अमेरिकी ड्रोन को मार गिराया था।

क्‍या है रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स 

दरअसल, इस्‍लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स की स्‍थापना 40 वर्ष पूर्व की गई थी। इसका उद्देश्‍य ईरान में इस्‍लामिक व्‍यवस्‍था को सुरक्षित करना था। ईरान में रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स में अपनी विशेष स्थिति बना रखी है। ईरान की आधिकारिक सेना से कम सैनिकों वाला समूह होने के बावजूद इसे ईरान का सबसे मज़बूत सैन्य संगठन माना जाता है। ये गार्ड्स ईरान में एक प्रमुख सैन्‍य, राजनीतिक और आर्थिक शक्ति बन चुका है। गार्ड्स एक स्‍वयंसेवी समूह बासिज पर भी नियंत्रण रखता है। यह समूह ईरान में अंदरूनी आवाज को दबाने का काम किया है। जरूरत पड़ने पर रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स अकेले ही लाखों सैनिकों को एकत्र कर सकते हैं।

ईरान की कुद्स सेना 

ईरान में कुद्स सेना रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के लिए विदेशों में ख़ुफ़िया ऑपरेशन करती है। ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता ख़ामेनई को सीधे रिपोर्ट करती है। इसमें कम से कम पांच हजार सैनिक हैं। अमरीका का मानना है कि कुद्स सेना मध्य-पूर्व में उन समूहों को आर्थिक मदद, ट्रेनिंग और हथियार मुहैया कराता है, जिसे उसने आतंकी संगठन करार दिए हैं। उन संगठनों में लेबनान का हिज़्बुल्लाह और फ़लस्तीन का इस्लामी जिहाद भी शामिल है । 


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