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मारे गए आतंकियों की गिनती कर गणित सीख रहे फलस्तीन के बच्चे, बन रहे जिहादी

ब्रिटेन को आपत्ति इस बात पर है कि उसके टैक्सपेयर का पैसा बच्चों के दिमाग में जहर भरने के लिए किया जा रहा है

By Brij Bihari ChoubeyEdited By: Published: Sat, 22 Feb 2020 12:06 PM (IST)Updated: Sat, 22 Feb 2020 03:05 PM (IST)
मारे गए आतंकियों की गिनती कर गणित सीख रहे फलस्तीन के बच्चे, बन रहे जिहादी
मारे गए आतंकियों की गिनती कर गणित सीख रहे फलस्तीन के बच्चे, बन रहे जिहादी

लंदन, एजेंसी। आतंक प्रभावित देशों में मानवीय सहायता के लिए दी जा रही भारी-भरकम रकम का कितना गलत इस्तेमाल हो रहा है इसका ताजा उदाहरण फलस्तीन और गाजा पट्टी में सामने आया है। बच्चों की शिक्षा के लिए दिए गए पैसों से उन्हें आतंकवाद और जिहाद के लिए तैयार किया जा रहा है। इसका खुलासा होने के बाद से इस मदद पर रोक लगाने की मांग जोर पकड़ रही है।

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दिमाग में भरा जा रहा जहर

पता चला है कि बच्चों को गणित सिखाने के लिए मारे गए आतंकियों की गिनती कराई जा रही है। इसमें आतंकियों जनाजे की तस्वीरें भी छापी गई हैं। फिजिक्स की किताब में न्यूटन का तीसरा नियम बताने के लिए विधर्मियों (ईसाइयों और हिंदुओं) यानी इस्लाम को न मानने वालों को गुलेल मारने की मिसाल दी गई है। इससे पता चलता है कि फलस्तीन, गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक में बच्चों के दिमाग में किस कदर दूसरे धर्म के मानने वालों के खिलाफ जहर भरा जा रहा है।

ब्रिटेन की वेबसाइट डेली मेल ऑनलाइन में छपी खबर में बताया गया है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा फलस्तीन और गाजा पट्टी को दी जा रही मदद में ब्रिटेन के करदाताओं का भी पैसा लगा है। इसके मद्देनजर इस तरह की मदद पर रोक लगाने की मांग की गई है। इसके लिए उन देशों का उदाहरण भी दिया जा रहा है जिन्होंने फलस्तीन को मानवीय सहायता देने से इन्कार कर दिया है।

खून और बलिदान की कविता

फलस्तीन, गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक में आठ साल के बच्चों के लिए एक कविता में ऐसी बातें लिखी गई हैं जो उसके अपरिवक्व मन पर बुरा असर डालेगी। इस कविता में ` अपने खून का बलिदान देना`, `अपने देश पर कब्जा करने वालों को खत्म करना` और `विदेशियों का अस्तित्व मिटा देना` जैसे मुहावरों का इस्तेमाल किया गया है।

फलस्तीन, गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक को मानवीय सहायता के नाम पर यह मदद यूनाइटेड नेशंस रिलीफ एंड वर्क्स एजेंसी फॉर पैलेस्टाइन रिफ्यूजीज (यूएनआरडब्ल्यूए) के जरिए दी जाती है। इस काम के लिए यूएनआरडब्ल्यूए को ब्रिटेन सहित कई देश वित्तीय मदद मुहैया कराते हैं। बता दें कि फलस्तीन और उसके कब्जे वाले इलाकों में बच्चों को पढ़ाई जा रही किताबों का हवाला देकर अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने यूएनआरडब्ल्यूए को मदद देने बंद कर दिया है। 

उठी समीक्षा की मांग

यूएनआरडब्ल्यूए को मदद देने वाले ब्रिटेन के डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनेशनल डेवलपमेंट के अनुसार फलस्तीन, गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक में बच्चों को पढ़ाई जा रही किताबों का गहराई से समीक्षा करने की जरूरत है। ब्रिटेन मानवीय सहायता के लिए यूएनआरडब्ल्यूए को मदद देने वाला चौथा सबसे बड़ा देश है।

गौरतलब है कि इजरायल और फलस्तीन कई दशकों से एक दूसरे से संघर्षरत हैं। इजरायल यहूदी बहुल देश है जबकि फलस्तीन, गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक में अरब आबादी बहुतायत में है। इजरायल को अमेरिका को राजनीतिक और आर्थिक मदद मिलती है जबकि फलस्तीन को अरब देशों और दूसरे मुस्लिम मुल्कों का समर्थन हासिल है।


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