जानें- मंगल पर भेजे गए यूएई के सैटेलाइट होप का क्या है मकसद, फरवरी में होगी कड़ी परीक्षा
होप सैटेलाइट मंगल पर फैली धूल और इसके कारण मंगल के तापमान में बदलाव का भी अध्ययन करेगा। इसके अलावा ये वहां पर पानी का भी पता लगाएगा।
नई दिल्ली (रॉयटर्स)। अरब जगत में संयुक्त अरब अमीरात ने मंगल ग्रह की जो लंबी छलांग लगाई है वो वास्तव में तारीफ के काबिल है। अरब जगत में यूएई मंगल पर सैटेलाइट भेजन वाला पहला देश बन गया है। 50 करोड़ की दूरी तय करके यूएई का सैटेलाइट फरवरी 2021 में मंगल पर पहुंचेगा। फरवरी 2021 में ही संयुक्त अरब अमीरात अपने गठन की 50वीं सालगिरह भी मना रहा होगा। इस सैटेलाइट का नाम होप या अमल है। छह साल में 150 वैज्ञानिकों की टीम ने इस सैटेलाइट को बनाया है।
2014 में शुरू किए गए मार्स मिशन के लिए यूएई ने नासा की मदद ली है। इस सेटेलाइट को बनाने में नासा के मार्स एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम एनालिसिस ग्रुप' (एमईपीएजी) के विशेषज्ञों ने मदद की है। यूएई ने इस मिशन के तहत जो जानकारियां हासिल करने की ठानी है उसको लेकर ही उसने नासा से संपर्क साधा था। आपको बता दें कि सफलतापूर्वक लॉन्चिंग से पहले इसका लॉन्च दो बार टालना पड़ा था। यूएई ने मंगल की जो छलांग लगाई है उससे पहले ये काम भारत समेत अमेरिका, रूस और यूरोप कर चुका है।
यूएई अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए अब तेल पर आधारित अपनी निर्भरता को कम करना चाहता है। यही वजह है कि वह लगातार अपने लिए नई संभावनाएं खोज रहा है। जहां तक होप सैटेलाइट की बात है तो आपको यहां पर ये भी बता दें कि मंगल पर भेजे जाने वाले मिशन में जोखिम अधिक होता है। यहां पर अब तक भेजे गए आधे अभियान नाकाम रहे हैं। इस पूरे मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर ओमरान शराफ हैं। वो मानते हैं कि जोखिम के बाद भी वो सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
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यूएई का कहना है कि उनका मिशन मंगल पर वो खोजबीन नहीं करना चाहता है जिसके बारे में दुनिया के वैज्ञानिकों को पहले से ही पता है। इसलिए उसका ये मिशन काफी खास है। इस मिशन के तहत होप सैटेलाइट मंगल ग्रह के मौसम और जलवायु का अध्ययन करेगा। मंगल ग्रह पर यूएई का होप सेटेलाइट ये भी पता लगाने की कोशिश करेगा कि मंगल पर ऐसा क्या हुआ कि उस पर हवा और पानी दोनों खत्म हो गए।
इसके अलावा होप मंगल ग्रह पर इस बात का भी अध्ययन करेगा कि वहां के वातावरण में ऊर्जा किस तरह से गति करती है। ये सैटेलाइट मंगल पर फैली धूल और इसके कारण मंगल के तापमान में बदलाव का भी अध्ययन करेगा। मंगल के वातावरण में मौजूद हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के तटस्थ परमाणुओं के बर्ताव का भी ये सैटेलाइट अध्ययन करेगा। वैज्ञानिकों की मानें तो मंगल ग्रह पर सूर्य से भी ऊर्जा कण पहुंचते हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि मंगल ग्रह पर भी कभी पानी था, लेकिन लगातार बदलाव की वजह से वो खत्म हो गया। होप इसकी वजह तलाशने की भी कोशिश करेगा। होप सैटेलाइट मंगल ग्रह से 22 हजार से 44 हजार किमी की दूरी पर रहकर ये खोजबीन करेगा।
गौरतलब है कि 5 नवंबर 2013 को भारत ने मंगलयान लॉन्च किया था। इसको आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसऍलवी) सी-25 के द्वारा सफलतापूर्वक छोड़ा गया था। 24 सितंबर 2014 को भारत का मंगलयान सफलतापूर्वक मंगल ग्रह पर पहुंच गया था। पहले ही प्रयास में सफल होने वाला भारत पहला देश है। इसके अतिरिक्त ये मंगल पर भेजा गया सबसे सस्ता मिशन भी है।मंगलयान के सफलतापूर्वक लॉन्चिंग के बाद ऐसा करने वाला भारत एशिया का पहला देश बन गया।
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