UAE में कैदियों जैसी जिंदगी जी रहे सात परिवार, मदद के लिए आगे आए लोग
यूएई में कैदियों की तरह जीवन व्यतीत कर रहे सात परिवारों की दिल छू लेने वाली कहानी प्रकाशित होने के बाद कई लोग सहायता के लिए आगे आए और नौकरी की पेशकश की।
दुबई (प्रेट्र)। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में कैदियों की तरह जीवन व्यतीत कर रहे सात परिवारों की दिल छू लेने वाली कहानी प्रकाशित होने के बाद कई लोगों ने भारतीय वाणिज्य दूतावास के माध्यम से उन्हें सहायता और नौकरी की पेशकश की है। उधर, शुक्रवार को वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों ने शारजाह में परिवारों से संपर्क किया और दस्तावेज बनाने में सहायता देने का प्रस्ताव दिया। यह जानकारी दुबई स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास के अधिकारी सुमाथी वासुदेव ने दी। दरअसल, खलीज टाइम्स ने पिछले गुरुवार को इस परिवार की खबर प्रकाशित की थी।
गौरतलब है कि केरल निवासी मधुसूदन (60) और उनकी श्रीलंकाई पत्नी रोहिणी (55) ने शारजाह में कैदियों जैसे जीवन बिताने की बात कहते हुए मदद की अपील की थी। उनका कहना था कि उनकी चार बेटियां और एक बेटा आज तक स्कूल नहीं गए। सभी बेरोजगार हैं और पूरा परिवार शारजाह में दो बेडरूम वाले जीर्णशीर्ण मकान में रहने को विवश हैं। वासुदेव का कहना है कि उसके पांच बच्चों में से चार के पास पासपोर्ट है, लेकिन उसकी वैधता वर्ष 2012 में ही खत्म हो चुकी है। हालांकि वासुदेव के पास कानूनी पासपोर्ट है। वासुदेव के मुताबिक खबर मिलने के बाद समाज के लोगों ने बच्चों को नौकरी देने का प्रस्ताव दिया है।
इस संबंध में वाणिज्य दूतावास अधिकारी ने कहा कि एक बार औपचारिक प्रस्ताव के बाद परिवार उनसे संपर्क करे। नियमानुसार उनके पासपोर्ट का नवीनीकरण किया जाएगा। श्रीलंका निवासी वासुदेव की पत्नी की सहायता करने के संदर्भ में पूछे जाने पर वाणिज्य दूतावास ने कहा कि वासुदेव की नागरिकता का फैसला होने के बाद उसकी मदद की जा सकेगी। वासुदेव 1979 में बतौर कामगार यूएई आया था। 1988 में उसने रोहिणी से शादी कर ली। 2003, 2007 और 2013 में घोषित आम माफी के तहत देश लौटने के संदर्भ में पूछे जाने पर उसने कहा कि आखिर वह पत्नी को छोड़कर कैसे भारत लौट जाए।