अफगानिस्तान में मीडिया पर बीते साल हमलों में 67 फीसद की हुई वृद्धि
एजेएससी ने अपनी वेबसाइट पर एक बयान में कहा कि 2016 के मुकाबले 2017 में मीडियाकर्मियों पर हुए हमलों में 67 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
काबुल, आइएएनएस। पाकिस्तान में पत्रकार और पत्रकारिता की क्या स्थिति है, ये पिछले दिनों ताहा सिद्दीकी पर रावलपिंडी में हुए हमले से जाहिर हो गया। लेकिन भारत और पाकिस्तान के पड़ोसी देश अफगानिस्तान में भी पत्रकार जान हथेली पर लेकर रिपोर्टिंग करते हैं। साल 2017 में 20 जर्नलिस्ट और मीडियाकर्मी मारे गए हैं।
साल 2017 में अफगानिस्तान में हुई हिंसा में बीस पत्रकार और मीडिया श्रमिक मारे गए। अफगान पत्रकारों की सुरक्षा समिति (एजेएससी), जो संवाददाताओं के अधिकारों की रक्षा करने वाली एक स्वतंत्र मीडिया सुरक्षा समूह है ने शुक्रवार इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान के इतिहास में पिछला साल पत्रकारों और मीडियाकर्मियों के लिए सबसे घातक था।
एजेएससी ने अपनी वेबसाइट पर एक बयान में कहा कि 2016 के मुकाबले 2017 में मीडियाकर्मियों पर हुए हमलों में 67 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। एजेएससी ने बताया कि 2017 में हिंसा और धमकी के 169 मामले दर्ज किए, जिनमें हत्या, चोट, मारपीट, अपहरण, धमकी और मौखिक हमले शामिल हैं।
एजेएससी के प्रमुख नजीब शरीफ ने बताया कि तालिबान और इस्लामिक स्टेट (आईएस) समूह की अफगानिस्तान शाखा द्वारा किए गए हमलों में 20 पत्रकार मारे गए हैं। पत्रकारों और मीडिया श्रमिकों के खिलाफ हिंसा के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि अफगानिस्तान में हमारे लिए और मीडिया समुदाय के लिए बड़ी चिंता का विषय है। मीडिया सहायता समिति ने कहा कि पत्रकारों और मीडिया श्रमिकों पर हुए हमलों में साल 2016 में कम से कम 13 पत्रकारों की मौत हो गई थी।
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