US-Taliban agreement: शांति वार्ता से जुड़े दोनों पक्षों ने 21 मुद्दों पर अपनी सहमति जताई, राष्ट्रपति भवन ने कहा गतिरोध बरकरार
टोलो न्यूज ने बताया कि इस हफ्ते वार्ता में एक सफलता मिली है। इसमें कहा गया है कि दोनों पक्षों ने अमेरिका-तालिबान समझौते संयुक्त राष्ट्र अफगान शांति प्रक्रिया पर प्रतिबद्धता जताई है। उधर राष्ट्रपति भवन ने कहा कि गतिरोध बरकरार है।
काबुल, एजेंसी। अंतर-अफगानिस्तान शांति वार्ता से जुड़े वार्ताकारों ने एक सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। दोनों पक्षों के वार्ताकारों ने कहा है कि 15 नवंबर को तालिबान और अफगान सरकार ने 21 मुद्दों पर अपनी सहमति व्यक्त की है। तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद नईम ने ट्वीट करके बताया कि 15 नवंबर, 2020 को दोनों पक्षों के बीच 21 मुद्दों पर सहमति बनी है और इसको अंतिम रूप दिया गया है।
टोलो न्यूज ने बताया कि इस हफ्ते वार्ता में एक सफलता मिली है। इसमें कहा गया है कि दोनों पक्षों ने अमेरिका-तालिबान समझौते, संयुक्त राष्ट्र अफगान शांति प्रक्रिया पर प्रतिबद्धता जताई है। दोनों पक्ष ने इसमें शामिल होने के लिए अपनी सहमति जताई है। हालांकि, राष्ट्रपति भवन ने तालिबान के उस रिपोर्ट का खंडन किया है, जिसमें शांति वार्ता पर सहमति की बात कही गई है। राष्ट्रपति भवन की ओर से कहा गया है कि अब भी शांति वार्ता पर गतिरोध बरकरार है।
सूत्रों के अनुसार अफगानिस्तान के मुख्य वार्ताकार मोहम्मद मासूम और राष्ट्रपति के शांति सलाहकार सलाम रहिमी पिछले तीन दिनों से काबूल की गुप्त यात्रा पर हैं। कयास लगाया जा रहा है कि दोनों पक्षों के वार्ताकार राष्ट्रपति गनी से इस पर सहमति की मांग कर रहे हैं। बता दें कि इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान और तालिबान की टीमों के बीच शांति वार्ता 12 सितंबर को शुरू हुई है, लेकिन आज तक वार्ता के लिए प्रक्रियात्कम नियमों पर असहमति के कारण सीधी बातचीत शुरू नहीं हुई थी। हालांकि, दोहा में शांति वार्ता शुरू होने के बाद दोनों पक्षों के सपंर्क समूहों के सदस्यों ने कई बाद विवादित मुद्दे पर अपनी सहमति जताई है।
बता दें कि अफगानिस्तान और तालिबान का प्रतिनिधिमंडल के बीच बहुप्रतीक्षित अंतर अफगान शांति वार्ता की शुरुआत 12 सितंबर, 2020 को दोहा की राजधानी कतर में शुरू हुई थी। दोहा वार्ता अफगान शांति प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण चरण है। दोहा वार्ता में शांति के लिए पहली बार दो युद्धरत पक्ष आमने-सामने आए। इस वार्ता का मुख्य मकसद अफगानिस्तान में दशकों से चले आ रहे स्थाई संघर्ष को समाप्त करना है। इस संघर्ष में हजारों जानें गईं।