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4 लाख मौतों के बीच 10 वर्षों में खंडहर बना आधा से ज्‍यादा देश, आधी आबादी बेघर होने को मजबूर

गृहयुद्ध के चलते एक खूबसूरत देश का ज्‍यादातर हिस्‍सा आज खंडहर में तब्‍दील हो चुका है। 2011 से लेकर अब तक यहां पर 4 लाख लोगों की मौत हुई है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 12 Mar 2020 12:13 PM (IST)Updated: Fri, 13 Mar 2020 02:28 AM (IST)
4 लाख मौतों के बीच 10 वर्षों में खंडहर बना आधा से ज्‍यादा देश, आधी आबादी बेघर होने को मजबूर
4 लाख मौतों के बीच 10 वर्षों में खंडहर बना आधा से ज्‍यादा देश, आधी आबादी बेघर होने को मजबूर

बेरूत एएफपी। सीरिया ने वर्षों से चल रहे गृहयुद्ध में बहुत कुछ खोया है। कभी गुलजार रहने वाले सीरिया का ज्‍यादातर हिस्‍सा आज खंडहर में बदल चुका है। यहां पर बीते दस वर्षों के दौरान करीब चार लाख लोगों की जान गृहयुद्ध की वजह से गई है। इतना ही नहीं, यहां की करीब आधी आबादी बेघर होने को मजबूर हो चुकी है। ब्रिटेन की सीरियन ऑब्‍जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने अपनी रिपोर्ट में जो आंकड़े जारी किए हैं, वो काफी चौंकाने वाले हैं।  

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सीरियन ऑब्‍जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के मुताबिक, 2011 से अब तक यहां पर छिड़ी लड़ाई में 380,000 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। यह आंकड़ा जनवरी 2020 तक का है। आपको बता दें कि ये संगठन अपने सोर्स के माध्‍यम से गृहयुद्ध की मार झेल रहे सीरिया पर नजर रखता है। इस संगठन के मुताबिक, जनवरी 2020 तक यहां पर 115,000 नागरिकों की जान गृहयुद्ध के चलते गई है। इनमें 22 हजार बच्‍चे, 13612 महिलाएं शामिल हैं। इसके अलावा विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के मुताबिक, जनवरी 2020 से अब तक सीरिया दुनिया में सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहा है। यहां के हालात आपातकाल जैसे हैं। स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं लगभग खत्‍म हो चुकी हैं और मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। 

इस दौरान शारीरिक विकलांगता के मामले करीब 30 फीसद तक बढ़े हैं। ये पूरी दुनिया में सामने आए मामलों से लगभग दोगुना हैं। एक आंकड़े के मुताबिक, करीब 45 फीसद लोग इस लड़ाई के चलते हमेशा के लिए शरीरिक विकलांग हुए हैं। अमेरिका की एनजीओ CARE के मुताबिक, सीरिया में दूसरे विश्‍व युद्ध के बाद सबसे अधिक लोग बेघर हुए हैं और दूसरे देशों में शरण लेने को मजबूर हैं। 

इस संस्‍था के मुताबिक, यहां के खराब हालातों की बदौलत करीब दो करोड़ से अधिक लोग बेघर हुए हैं। संयुक्‍त राष्‍ट्र के आंकड़े बताते हैं कि फरवरी 2020 तक पूरी दुनिया में शरणार्थियों की संख्‍या करीब 55 लाख तक जा पहुंची है, जबकि 60 लाख लोग सीरिया में ही बेघर हुए हैं। शरणार्थियों को शरण देने में तुर्की सबसे आगे है। यहां पर 36 लाख लोग बतौर शरणार्थी हैं। 

इसके अलावा लेबनान में सीरिया से गए करीब 15 लाख शरणार्थी हैं। करीब दस लाख लोग संयुक्‍त राष्‍ट्र की रिफ्यूजी एजेंसी UNHCR में रजिस्‍टर्ड हैं। दुनियाभर में फैले ज्‍यादातर शरणार्थी अंतरराष्‍ट्रीय मदद के सहारे अपना जीवन यापन कर रहे हैं। अकेले जॉर्डन में ही 650,000 से अधिक सीरियाई शरणार्थी मौजूद हैं। वहीं सरकार का कहना है कि इनकी संख्‍या दस लाख से अधिक है। इसके अलवा इराक में तीन लाख से अधिक और मिस्र में करीब डेढ़ लाख सीरियाई शरणार्थी हैं।  

इनके अलावा सीरियाई शरणार्थी यूरोप के कई देशों में फैले हैं। इनमें से कई सीमा में गैर कानूनी रूप से घुसने के आरोप में जेलों में भी कैद हैं। आपको बता दें कि सीरिया में छिड़े गृहयुद्ध के बाद से ही वहां के राष्‍ट्रपति बशर अल असद पर कई तरह के आरोप लगते रहे हैं। ऑब्‍जर्वेटरी की रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 60 हजार लोगों की मौत असद शासन के दौरान प्रताड़ना दिए जाने की वजह से हुई है। करीब इतने ही लोग जेलों में बंद हैं। एमनेस्‍टी इंटरनेशनल के मुताबिक, 2011 से 2015 के दौरान 13 हजार लोगों को फांसी दी गई। सैकड़ों कैदियों की मौत जेल में ही हो गई। 

गौरतलब है कि गृहयुद्ध के चलते 2011 से अब तक सीरिया की अर्थव्‍यवस्‍था बुरी तरह से प्रभावित हुई है। एमनेस्‍टी इंटरनेशनल और यूएन के वर्ल्‍ड फूड प्रोग्राम के मुताबिक, सीरिया में पांच में से चार परिवार भरपेट खाना खाए बिना अपना जीवन गुजारते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक, सीरिया में 80 फीसद से अधिक लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं। यहां पर गृहयुद्ध छिड़ने से पहले ये केवल 28 फीसद ही हुआ करते थे। 2011 से अब तक ऑयल और गैस सेक्‍टर ने 74 बिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा है। सरकार के आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान 40 अरब डॉलर की प्रॉपर्टी का नुकसान हो चुका है। 

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