बम धमाके की आवाज सुनकर खिल-खिलाकर हंसती है 4 साल की बच्ची, पिता ने बताई वजह
सीरिया की ऐसी बच्ची के बारे में बताने जा रहे हैं जो बमबारी की आवाज सुनकर खिल-खिलाकर हंसने लगती है।
नई दिल्ली, एजेंसी। सीरिया में कब बमबारी शुरू हो जाए, कहा नहीं जा सकता। अब वहां के नागरिक इस बमबारी के आदि हो गए हैं। सोचिए, कुछ साल पहले जन्म लेने वाले बच्चों पर इस युद्ध का क्या असर होता होगा? कुछ बच्चे जरूर बम के धमाकों की आवाज सुनकर दहल जाते होंगे, कुछ की चीखें निकलती होंगी, तो वहीं कुछ जोर-जोर से रोने लगते होंगे। आज हम आपको सीरिया की ऐसी बच्ची के बारे में बताने जा रहे हैं, जो बमबारी की आवाज सुनकर खिल-खिलाकर हंसने लगती है।
सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में एक पिता बम धमाकों के बीच बच्ची को हंसाने की कोशिश करता दिखाई दे रहा है। इस शख्स का नाम मोहम्मद अब्दुल्ला है। अब्दुल्ला अपनी चार साल की बेटी (सेल्वा) को हंसाता नजर आ रहा है। स्काई न्यूज़ यूके से बात करते हुए पिता अब्दुल्ला ने कहा, मैंने इस तरह के खेल से मनोवैज्ञानिक रूप से मजबूत करने की कोशिश की है। मेरी कोशिश है कि मेरी बच्ची बम धमाकों को डरे नहीं। बच्चों को कहां युद्ध समझ में आता है। फिर यदि युद्ध के बारे में हमने अपने बच्चों को इस तरह से हंसाने की कोशिश नहीं की तो उनके दिमाग में डर बैठ जाएगा।
डॉक्टर्स बताते हैं कि पांच साल तक की उम्र में बच्चों का काफी मानसिक विकास हो जाता है। इस दौरान बच्चों को जैसे सिखाया-पढ़ाया जाता है, वैसे ही बच्चे का मानसिक विकास होता है। इसलिए बच्चों को अच्छी-अच्छी चीजें सिखानी चाहिए। इस लिहाज से देखें तो इदलिब शहर में रहने मोहम्मद अब्दुल्ला अपनी बेटी की बिल्कुल सही परवरिश कर रहे हैं।
गौरतलब है कि हाल ही में रूस ने तुर्की पर सीरिया के इदलिब प्रांत में तनाव कम करने के लिए हुए समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। यह समझौता रूस, तुर्की और सीरिया के बीच में हुआ था। बता दें कि सीरिया में चल रहे युद्ध का समर्थन करने वाले रूस और तुर्की के बीच 2018 में पश्चिमोत्तर प्रांत में शांत क्षेत्र स्थापित करने पर सहमति बनी थी। हालांकि, शांति स्थापना का यह प्रयास पिछले कुछ दिनों से टूटता नजर आ रहा है। इदलिब प्रांत में पिछले दो हफ्ते के दौरान सीरिया सरकार की कार्रवाई में तुर्की के 13 सैनिक मारे गए हैं। यहां लगतार बमबारी हो रही है। इस युद्ध का अंत कब होगा, ये कह पाना बेहद मुश्किल है। जब तक ये युद्ध थम नहीं जाता, तब तक मोहम्मद अब्दुल्ला जैसे लोगों को अपने बच्चों को ऐसे की युद्ध के दौरान हंसना सिखाते रहना पड़ेगा।