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अफगानिस्तान में विश्व बैंक से वित्त पोषित परियोजनाएं बंद, देश में गरीबी और बेरोजगारी दर में बढ़ोतरी की आशंका

अफगानिस्तान के आंतरिक विकास के लिए चलाई जा रहीं करीब सात हजार परियोजनाएं अधर में हैं। देश में तालिबान द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के बाद तमाम योजनाओं को बंद कर दिया गया है। इन योजनाओं का संचालन नागरिक चार्टर राष्ट्रीय प्राथमिकता कार्यक्रम के तहत किया जा रहा था।

By Amit SinghEdited By: Published: Tue, 28 Dec 2021 04:46 PM (IST)Updated: Tue, 28 Dec 2021 04:46 PM (IST)
अफगानिस्तान में विश्व बैंक से वित्त पोषित परियोजनाएं बंद, देश में गरीबी और बेरोजगारी दर में बढ़ोतरी की आशंका
अफगानिस्तान में विश्व बैंक से वित्त पोषित परियोजनाएं बंद

काबुल, एएनआई: अफगानिस्तान के आंतरिक विकास के लिए चलाई जा रहीं करीब सात हजार परियोजनाएं अधर में हैं। देश में आतंकी संगठन तालिबान द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के बाद तमाम योजनाओं को बंद कर दिया गया है। इन योजनाओं का संचालन नागरिक चार्टर राष्ट्रीय प्राथमिकता कार्यक्रम के तहत किया जा रहा था। ज्यादातर योजनाएं विश्व बैंक से वित्त पोषित थीं और इन्हें गरीबी कम करने, सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों में सुधार और युवाओं के प्रवास को रोकने के लिए चलाया जा रहा था।

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अधर में फंसी हजारों योजनाएं

देश के वित्त मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान जारी करते हुए कहा कि 2016 में शुरू की गई देशव्यापी योजनाओं को तीन चरणों में बांटा गया था। कार्यक्रम का पहला चरण 2022 के अंत में समाप्त होने की उम्मीद थी। देश भर में करीब 12 हजार परियोजनाओं को लागू करने के लिए कार्यक्रम के पहले चरण के लिए करीब 100करोड़ अमेरिकी डालर जारी किए गए थे। लेकिन शुरू की गई योजनाओं में से करीब सात हजार अधर में हैं। वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि, वो अधूरी पड़ी योजनाओं को पूरा करने के लिए विश्व बैंक से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं।

गरीबी में बढ़ोतरी की आशंका

नागरिक चार्टर राष्ट्रीय प्राथमिकता कार्यक्रम के तहत क्रियानवित योजनाओं के बंद होने के कारण देश में बेरोजगारी और गरीब की दर में बढ़ोतरी की आशंका है। जानकारों के मुताबिक, अफगान में चल रहीं ज्यादातर परियोजनाएं विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित हैं। इन परियोजनाओं के रुकने से बेरोजगारी और गरीब की दर में बढ़ोतरी होगी।

तालिबान ने बंद की योजनाएं

गौरतलब है कि, नागरिक चार्टर राष्ट्रीय प्राथमिकता कार्यक्रम के तहत हजारों छोटी और बड़ी परियोजनाओं को करीब दस वर्षों के लिए लागू किया गया था। लेकिन अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान द्वारा कब्जा करने के बाद तमाम योजनाओं को बंद कर दिया गया है।


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