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सऊदी में महिला कार्यकर्ताओं पर चल रहे मुकदमे की सुनवाई फिर टली, सरकार की हो रही किरकिरी

सऊदी अरब में महिला मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर चल रहे मुकदमे की सुनवाई टल गई है। वहीं महिला कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने को लेकर सऊदी सरकार की चौतरफा आलोचना जारी है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 17 Apr 2019 08:20 PM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 08:20 PM (IST)
सऊदी में महिला कार्यकर्ताओं पर चल रहे मुकदमे की सुनवाई फिर टली, सरकार की हो रही किरकिरी
सऊदी में महिला कार्यकर्ताओं पर चल रहे मुकदमे की सुनवाई फिर टली, सरकार की हो रही किरकिरी

रियाद, रायटर। सऊदी अरब में महिला मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर चल रहे मुकदमे की सुनवाई फिर टाल दी है। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख भी नहीं दी है। अदालत के अधिकारियों का कहना है कि निजी कारणों के चलते जज को बुधवार की सुनवाई टालनी पड़ी। महिला कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने और उन पर मुकदमा चलाने के लिए सऊदी सरकार चौतरफा आलोचनाएं झेल रही है। पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या को लेकर भी सऊदी अरब को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सवालों का सामना करना पड़ा था।

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सऊदी सरकार 11 महिला कार्यकर्ताओं पर देश के हितों को नुकसान पहुंचाने और विदेशी दुश्मनों की मदद के आरोप में मुकदमा चला रही है। इनमें से ज्यादातर महिलाएं ड्राइविंग के अधिकार और पुरुष को परिवार का मुखिया मानने की प्रचलित व्यवस्था को खत्म करने के लिए आंदोलन कर रही थीं। कुछ महिलाओं ने जेल में अपने साथ उत्पीड़न का भी आरोप लगाया है। पिछले महीने तीन महिलाओं को अस्थायी तौर पर रिहा कर दिया गया था। इसके बाद माना जा रहा था कि अतंरराष्ट्रीय दबाव में सरकार इस मामले में अपना रुख नरम कर रही है। लेकिन इस महीने उन कार्यकर्ताओं के 14 समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया गया जिसके बाद मामला फिर गर्म हो गया है।

सऊदी से भागी दो बहनों ने सोशल मीडिया पर मांगी मदद
सऊदी से भागकर जॉर्जिया पहुंची दो बहनों ने सोशल मीडिया पर मदद मांगी है। महा अल-सुबेई (28) और वफा अल-सुबेई (25) ने ट्विटर पर 'जॉर्जियासिस्टर' नाम से अकाउंट बनाया है। वफा का कहना है कि परिवार वालों के उत्पीड़न के चलते उन्हें भागना पड़ा। इससे पहले भी कई सऊदी महिलाएं ऐसा कर चुकी हैं। दरअसल, सऊदी अरब में महिलाएं बिना किसी पुरुष अभिभावक की सहमति के ना तो यात्रा कर सकती हैं और ना ही शादी। यदि वह देश से भागने के दौरान पकड़ ली जाती हैं तो उन्हें हिरासत में रखने के अलावा अपने उत्पीड़क से समझौता करने के लिए मजबूर किया जाता है। 


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