यमन में कोरोना महामारी के बीच सऊदी अरब के नेतृत्व वाला गठबंधन सेना ने किया शांति की अपील
ठबंधन ने कहा कि हालात को देखते हुए रियाद समझौते के विपरीत कोई भी कदम रद किया जाना चाहिए। गठबंधन ने यहां संघर्ष को समाप्त करने का आह्वान किया है।
काहिरा, एजेंसी। काहिरा एजेंसी । कोरोना महामारी के मद्देनजर यमन ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी है। यमन की इस घोषणा के बाद सऊदी अरब के नेतृत्व वाला गठबंधन ने सोमवार को कहा है कि सभी दलों को पूर्व की स्थिति में लौटने की जरूरत है। गठबंधन ने कहा कि हालात को देखते हुए रियाद समझौते के विपरीत कोई भी कदम रद किया जाना चाहिए। गठबंधन ने यहां संघर्ष को समाप्त करने का आह्वान किया है। इसके पूर्व गठबंधन सेना का कहना था कि वो कोरोना वायरस को फैलने से रोकने में मदद करना चाहते हैं और शांति के लिए संयुक्त राष्ट्र की कोशिशों का समर्थन करना चाहते हैं। इसके पूर्व के एक अधिकारी ने कहा था कि हम दो सप्ताह के लिए संघर्ष विराम शुरू करने की घोषणा कर रहे हैं। हम उम्मीद कर रहे हैं कि हूती (यमनी विद्रोही) स्वीकार करेंगे। हम यमन में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एकतरफा संघर्ष विराम शुरू होगा।
बता दें कि 10 अप्रैल को यमन में सरकार के नियंत्रण वाले दक्षिणी प्रांत में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया था। दुनियाभर में चीन से फैला कोरोना ने यमन में भी दस्तक दे दी है। कोरोना के लिए गठित शीर्ष राष्ट्रीय आपात समिति ने यह जानकारी दी थी। कई सहायता समूह पहले ही चेता चुके हैं कि युद्धग्रस्त यमन की लचर स्वास्थ्य प्रणाली के कारण वायरस का यहां पहुंचना घातक साबित हो सकता है। समिति ने ट्वीट कर कहा कि हैड्राम प्रांत में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया है। साथ ही कहा कि संक्रमित व्यक्ति की हालत स्थिर है और उसका उपचार किया जा रहा है।
यमन में कोरोना वायरस संक्रमण का पहला मामला सामने आने के बाद सहायता एजेंसियों ने चिंता जाहिर की है। यमन सालों से गृह युद्ध झेल रहा है जिसके कारण वहां स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति बेहद बुरी है। संयुक्त राष्ट्र की ह्यूमैनेटेरियन को-ऑर्डिनेटर लिजा ग्रैंदे ने कहा है कि अगर यमन में वायरस ने अपने पैर पसारने शुरू किए तो यहां भारी तबाही होगी। उन्होंने कहा कि कई सप्ताह से हम कोरोना को लेकर आशंकित थे और अब संक्रमण का मामला भी आया है। बता दें कि यमन दुनिया के सबसे बुरे मानवीय संकट के दौर से जूझ रहा है और यहां की एक बड़ी आबादी खाद्य संकट का सामना कर रही है। वो पूरी तरह से खाद्य सहायता पर आश्रित हैं। यमन में रहने वाले पहले ही हैजा, डेंगू और मलेरिया सहित कई बीमारियों से मुकाबला कर रहे हैं और सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि यहां के केवल आधे अस्पताल ही पूरी तरह काम करने की स्थिति में हैं।
बता दें कि यमन में हुती विद्रोहियों और सऊदी अरब नीत सैन्य गठबंधन के बीच युद्ध में पिछले 5 साल में दसियों हज़ार आम नागरिक मारे गए हैं। गठबंधन ने दो सप्ताह के लिए एकपक्षीय संघर्ष विराम की घोषणा की थी. इसका मुख्य मकसद देश में कोरोना वायरस संक्रमण को पहुंचने से रोकना था।