सऊदी अरब में बिना मर्द के रेस्तरां में प्रवेश कर सकेंगीं महिलाएं, अब भी कई हकों से महरूम आधी आबादी
वर्ष 2018 में सऊदी सरकार ने महिलाओं के हक में कई ऐसे फैसले किए जिससे लगता है कि ये समाज महिलाओं को बंधन में जकड़ रहने की छवि तोड़ने को लेकर गंभीर है।
नई दिल्ली, जागरण स्पेशल । क्या आप जानते हैं कि सऊदी अरब में महिलाओं को अकेले रेस्तरां में जाने का अधिकार नहीं था। कानूनी तौर पर किसी महिला को अकेले रेस्तरां में प्रवेश करने पर प्रतिबंध था। वह किसी पुरुष रिश्तेदार के साथ ही रेस्तरां में प्रवेश कर सकती थीं। लेकिन सऊदी हुकूमत ने अब इस प्रतिबंध को हटा लिया है। इसके साथ ही इस कानून के अमल में आने के साथ सऊदी में अब जेंडर के आधार पर रेसतरां में अलग-अलग प्रवेशद्वार की जरूरत नहीं होगी। पहले रेस्तरां में लिंग के आधार पर दो प्रवेश द्वार अनिवार्य रूप से होते थे। बता दें कि लिंग के आधाार पर होने वाली असमानता में यमन और सीरिया उससे भी आगे हैं।
सऊदी अरब की महिलाओं को भी धीरे-धीरे समानता का अधिकार मिलने लगा है। आजादी के साथ हवा में उड़ने का उनका सपना लगभग अब साकार होने की राह पर है। इसी सिलसिले में सऊदी महिलाओं को अब ड्राइव करने की अनुमति मिल गई है। इसके पहले वहां कि महिलाओं को ड्राइव करने की अनुमति प्राप्त नहीं थी। एक जगह से दूसरी जगह की यात्रा करने के लिए उन्हें अपने परिवार के मर्दों के रहम के भरोसे रहना पड़ता था।
महिलाओं के प्रति उदारीकरण विजन 2030 का हिस्सा
वर्ष 2018 में सऊदी सरकार ने महिलाओं के हक में कई ऐसे फैसले किए जिससे लगता है कि ये समाज महिलाओं को बंधन में जकड़ रहने की छवि तोड़ने को लेकर गंभीर है। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के विजन 2030 का हिस्सा बताया है। बता दें कि सऊदी अरब की असल सत्ता प्रिंस सलमान के ही हाथ में है और वो सऊदी शासन को तरक्की पसंद और उदारवादी चेहरा देना चाहते हैं। गौरतलब है कि सऊदी अरब में महिलाओं के बारे में कई गलत धारणाएं प्रचलित हैं। नंवबर 2017 में मध्य पूर्व के ग्लोबल फोरम में शिरकत कर रही सऊदी अरब की एक युवती ने वहां महिलाओं की स्थिति को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी। 2015 में पहली बार सऊदी महिलाओं ने पहली बार मतदान किया
12 दिसंबर, 2015 में पहली बार सऊदी महिलाओं ने मतदान के हक का इस्तेमाल किया है। नगर परिषद चुनावों में महिलाओं ने मतदान का ही इस्तेमाल नहीं किया वरन इस 978 महिलाओं ने इस चुनाव में उम्मीदवार भी बनीं।बता दें कि चुनावों में महिलाओं की भागीदारी का फैसला दिसंगत शाह अब्दुल्ला ने किया था। शाह अब्दुल्ला ने गत जनवरी को अपने निधन से पहले 30 महिलाओं को शीर्ष सलाहकार शूरा परिषद में नियुक्त किया था।
क्या है सऊदी अरब का गार्डियनशिप सिस्टम
सऊदी में वर्ष 1979 में रुढिवादी ताकतों के उभार के साथ गार्डियनशिप सिस्टम के नियम को सख्ती से लागू किया था। महिलाओं पर तमाम पाबंदियां इस्लामिक कानून के नाम पर थोपी गईं हैं। हालांकि सरकार का दावा है कि इसमें इस्लाम को कोई लेना देना नहीं है। सऊदी में पहले महिला अपने पुरुष अभिभावक की अनुमति के बिना जीवन को कोई काम नहीं कर सकती हैं। पासपोर्ट बनवाना हो या विदेश यात्रा करना, शादी करने या बैंक अकाउंट खोलने में कोई व्यापार शुरू करने के पहले पुरुष रिश्तेदार की इजाजत लेनी जरूरी होती थी। हालांकि कई पाबंदियों को हटा लिया गया है, लेकिन अभी भी सऊदी महिलाओं पर कई पाबंदियां लागू हैं। महिलाओं के ये अभिभावक पिता, पति के अलावा भाई या बेटे हो सकते हैं। हालांकि, इन पाबंदियों के बावजूद वहां 15 साल तक की लड़कियों के लिए शिक्षा अनिवार्य है। स्नातक की उपाधि लेने वालों में पुरुषों के मुक़ाबले महिलाओं की संख्या ज़्यादा है।
लिंग के आधार पर विषमताओं का बड़ी लिस्ट
हालांकि केवल ड्राइविंग ही इकलौता अधिकार नहीं जिससे अब तक वहां की महिलाएं महरूम थीं। अभी भी कई ऐसी चीजें हैं जो वे नहीं कर सकती हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं वे कौन सी चीजें हैं जिन्हें आज भी सऊदी की महिलाएं नहीं कर सकती हैं।
- सऊदी की महिलाएं अपने परिवार के पुरूष अभिभावक के अभिभावक की अनुमति के बिना ना शादी कर सकती है ना ही तलाक ले या दे सकती है।
- वे अपने करीबी पुरूष रिश्तेदारों से बाहर में ज्यादा घुलमिल नहीं सकती हैं और अगर ऐसा करती हुई पाईं जाती हैं तो उन्हें जेल की सजा हो जाती है।
- वहां की महिलाएं बाहर रेस्तरां में खाना नहीं खा सकती थीं, क्योंकि वहां के रेस्तरां में अलग से फैमिली सेक्शन नहीं होता था। अब इसे हटा लिया गया है।
- उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर अबाया (एक प्रकार का वस्त्र जो सिर से लेकर पांव तक ढंका होता है) पहनना आवश्यक है। हालांकि रियाद में कुछ जगहों पर महिलाओं ने अपने चेहरे खुले रखने शुरू कर दिए हैं।
- उनके इस्लामिक नियम मुस्लिम महिलाओं को गैर मुस्लिम पुरूष से विवाह करने से रोकते हैं, इस प्रकार के कृत्य सऊदी अरब में घोर अपराध माना जाता है। यहां तक कि एक सुन्नी महिला एक शिया पुरूष से शादी नहीं कर सकती है।
- सऊदी की महिलाएं कुछ खास प्रकार के व्यवसाय खुद नहीं कर सकती हैं। इसके लिए दो पुरूष उनकी परीक्षा लेते हैं कि वे लोन लेने या लाइसेंस लेने के काबिल हैं ये नहीं।
- तलाक के मामले में सऊदी की महिलाएं 7 साल के ऊपर के अपने लड़के और साल के ऊपर के अपनी लड़की की कस्टडी के लिए अधिकार नहीं जमा सकती है।
- उन्हें कोर्ट में निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलती है। उनके कानून के हिसाब से दो महिलाओं के बराबर एक पुरूष होता है। सऊदी अरब में एक महिला की कानूनी स्थिति एक अल्पसंख्यक के बराबर होती है। इस कारण उसकी खुद की जिंदगी उनके वश में नहीं होती है।
- सऊदी महिलाएं बराबर की विरासत की हकदार नहीं होती हैं। शरिया विरासत कानून के तहत बेटियों को बेटों को मिलने वाले विरासत का आधा दिया जाता है।