पहले किए गए सिर धड़ से अलग फिर खंबे पर लटकाए गए शव, ये था सऊदी अरब का दिल दहला देने वाला मंजर
सऊदी अरब में 37 लोगों का सिर धड़ से अलग कर मौत की सजा दी गई। इसमें सबसे खास बात ये है कि सजा पाने वालों में ज्यादातर शिया समुदाय से ताल्लुक रखते थे।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। इसी सप्ताह एक खबर ने भारत में सभी के कान खड़े कर दिए थे। खबर थी कि सऊदी अरब में पंजाब के दो लोगों के सिर धड़ से अलग कर उन्हें मौत की सजा दी गई। यह मामला यूं तो फरवरी का था लेकिन इसकी खबर दो माह के बाद आई। इतना ही नहीं सऊदी अरब में स्थित भारतीय दूतावास को इस तरह की सजा भारतीयों को दिए जाने की न तो कोई जानकारी पहले या फिर बाद में ही दी गई, लिहाजा सजा पाने वालों के परिजन अपने लोगों की इंतजार और तलाश में ही लगे रहे। इसकी जानकारी यहां पर देने की पीछे जो मकसद है वो ये कि फरवरी में जो सजा दी गई वह भले ही दुनिया के सामने न आई हो, लेकिन अब जो खबर आई है उसने सभी को सन्न करके रख दिया है। दरअसल, मंगलवार को सऊदी अरब में करीब 37 लोगों का सिर धड़ से अलग कर मौत की सजा दी गई। इसमें सबसे खास बात ये है कि सजा पाने वालों में ज्यादातर शिया समुदाय से ताल्लुक रखते थे।
यह सब कुछ केवल यहीं पर खत्म नहीं हो गया, बल्कि इन लोगों का सिर कलम करने के बाद में इन्हें बेहद गंदे तरीके से खंबों के साथ बांधकर रखा गया। यह सबकुछ इसलिए किया गया जिससे आम लोग इसको देख सकें। इससे भी ज्यादा यह सऊदी अरब की उस भावना को भी दिखा रहा है जिसके तहत शियाओं को हीन भावना से देखा जाता है। आपको बता दें कि शिया यहां पर अल्पसंख्यकों में आते हैं और उनपर जुल्म की बात कोई नई नहीं हैं। यहां पर ये भी बता दें कि शवों का इस तरह से लोगों के सामने पेश करना सीधेतौर पर शियाओं के लिए भी संदेश था। मंगलवार को यहां पर दी गई इस सजा की जानकारी एमनेस्टी इंटरनेशनल की तरफ से सामने निकलकर आई है।
जहां तक रियाद की बात है तो वहां पर शियाओं को लेकर बरती जा रही हीन भावना यहां कोई नई बात नहीं है। सऊदी अरब मे इस तरह के कई उदाहरण मिल जाएंगे। आपको यहां पर ये भी बता दें कि सऊदी अरब ने बीते कुछ वर्षों में अपनी कट्टरवादी इस्लामिक छवि को तोड़ने की कोशिश की है। इसको लेकर वह काफी चर्चा में आया था। बदलते नियमों और खासतौर पर महिलाओं को दिए गए अधिकारों को लेकर सऊदी अरब की काफी प्रशंसा भी हुई थी। लेकिन वहां पर शियाओं के साथ हो रहा दुर्व्यवहार सवालों के घेरे में है। मंगलवार को दी गई सजा को अब तक की सबसे बड़ी संख्या में दी गई सजा बताया जा रहा है।
मोहम्मद बिन सलमान के गद्दी संभालने के बाद से सऊदी अरब में काफी बदलाव देखा गया है। सऊदी क्राउन प्रिंस को लेकर भी यह देश काफी सुर्खियों में आया है। बात चाहे अमेरिका से संबंधों की हो या फिर पाकिस्तान को अरबों डॉलर की रकम देने की या फिर और विषयों की, सभी में क्राउन प्रिंस का नाम सामने आया है। इतना ही नहीं सऊदी अरब में नए नियमों और महिलाओं को दी गई छूट को लेकर भी क्राउन प्रिंस का नाम ही सामने आया था। लेकिन जहां तक 37 लोगों को सजा दिए जाने की बात है तो इसको लेकर सरकार ने अपने बयान में कहा है कि यह लोग आतंकी गतिविधियों में लिप्त थे और चरमपंथी विचारधारा फैला रहे थे।
सरकार का आरोप है कि इन्हें देश में तनाव फैलाने का भी दोषी पाया गया, इसके अलावा कुछ हत्या के दोषी थे। सरकार की तरफ से कहा गया है कि इन सभी को मौत की सजा नियमों और कानून के हवाले से ही दी गई हैं। हालांकि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इसको "shocking execution spree"कहा है। एमनेस्टी की मानें तो सजा पाने वालों में 11 लोग सऊदी अरब के खिलाफ जासूसी के दोषी थे, जो ईरान से मिले हुए थे, जबकि 14 अन्य लोगों को दूसरे आरोपों के तहत यह सजा दी गई है। इनमें से ज्यादातर 2011-12 के दौरान हुए सरकार विरोधी प्रदर्शन में शामिल थे।
आपको यहां पर ये भी बता दें कि सऊदी अरब ने 2016 में शियाओं से धर्मगुरू निम्र बकिर अल निम्र को भी सजा ए मौत दी थी। इससे पहले 1980 में सार्वजनिक तौर पर 46 लोगों को मौत की सजा दी गई थी। एमनेस्टी की मानें तो मंगलवार को जिन लोगों को सजा दी गई उनमें से एक महज 16 वर्षीय था। आपको यहां पर ये भी बात दें कि सऊदी अरब में इसी वर्ष अब तक करीब सौ लोगों को सजा ए मौत दी जा चुकी है। जबकि 2018-19 में यह आंकड़ा 140 तक पहुंच चुका है।
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