इराक को शांति व सह-अस्तित्व का पाठ पढ़ाकर पोप लौटे रोम, पीड़ित समुदाय के जख्मों पर भी लगाया मरहम
शांति सह-अस्तित्व और गुनाह करने वालों के लिए क्षमा की भावना के साथ पोप इराक की यात्रा पूरी करने के बाद रोम वापस लौट गए। उन्होंने यहां रहने वाले ईसाई समुदाय को अपनाने का संदेश दिया। उन्होंने इस्लामिक स्टेट के अत्याचारों से पीड़ित समुदाय के जख्मों पर भी मरहम लगाया।
बगदाद, एजेंसी। शांति, सह-अस्तित्व और गुनाह करने वालों के लिए क्षमा की भावना के साथ पोप इराक की यात्रा पूरी करने के बाद रोम वापस लौट गए। इस यात्रा में उन्होंने अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय में उनकी सुरक्षा के लिये भरोसा पैदा किया। पांच प्रांतों में चार दिन की यात्रा के बाद बगदाद एयरपोर्ट पर उनकी विदाई के लिए एक समारोह आयोजित किया गया था। अपनी यात्रा में पोप फ्रांसिस ने इराकियों से विविधता अपनाने का आग्रह किया। फिर चाहे उनकी यात्रा नजफ से लेकर दक्षिण तक रही हो या शिया धर्मगुरु अयातुल्ला अल सिस्तानी से की गई भेंट। कोरोना महामारी के बाद पोप का यह पहला अंतरराष्ट्रीय दौरा था। इसके साथ किसी भी पोप का यह पहला इराकी दौरा था। पोप ने कहा कि यह दौरा करना उनका कर्तव्य है। इस यात्रा के दौरान पोप चार दिनों में इराक के कई महत्वपूर्ण जगहों पर गए। इराक में ईसाई समुदाय के लोग हिंसा के शिकार हो रहे हैं।
पोप जहां भी कार्यक्रम में मिले, उन्होंने यहां रहने वाले ईसाई समुदाय को अपनाने का संदेश दिया। उन्होंने इस्लामिक स्टेट के अत्याचारों से पीड़ित समुदाय के जख्मों पर भी मरहम लगाया। पोप की इस यात्रा के दौरान एक बार जरूर देखने को मिली कि उनके स्वागत के लिए मौजूद लोगों में कोरोना को लेकर कम सावधानी देखी गई। कुछ लोग ही फेसमास्क लगाए हुए थे। एक स्थान पर उन्होंने स्टेडियम में दस हजार लोगों के बीच अपना संदेश दिया। इस दौरान सुरक्षा और कोरोना से सावधानी के कड़े प्रबंध थे।
बता दें कि शनिवार को कैथलिक चर्च के प्रमुख पोप फ्रांसिस और शिया मुसलमानों के सबसे ताकतवर धर्मगुरु अयातुल्ला अली अल सिस्तानी के बीच मुलाकात हुई। दूसरे धर्मों के साथ संवाद के लिए पहल करने वाले नेता के तौर पर पोप फ्रांसिस की सिस्तानी के साथ मुलाकात को इराक के उनके दौरे की सबसे अहम घटना माना जा रहा है। सिस्तानी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इराक में रह रहे ईसाई नागरिकों को अपने पूर्ण संवैधानिक अधिकारियों के साथ बाकी इराकियों की तरह शांति और सुरक्षा के साथ मिलकर रहना चाहिए। हालांकि, सिस्तानी को एक उदारवादी मुसलमान नेता माना जाता है। दोनों नेताओं के बीच करीब 50 मिनट तक वार्ता हुई। दोनों धर्मगुरुओं की मुलाकात सिस्तानी के नजफ स्थित आवास पर हुई। यह शिया मुसलमानों को एक पवित्र शहर है।